Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
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लक्षणा-निरूपणम्
[लक्षणा वृत्ति के विषय में नयायिकों का मत]
ननु लक्षणा कः पदार्थ इति चेत् ? अत्र तार्किकाः- "स्व शक्यसम्बन्धो लक्षणा" । सा द्विधा-'गौणी' 'शुद्धा' च । स्वनिरूपित-सादृश्याधिकरणत्व सम्बन्धेन शक्यसम्बन्ध्यर्थप्रतिपादिका ‘गौणी' । तदतिरिक्त सम्बन्धेन शक्यसम्बन्ध्यर्थ
प्रतिपादिका 'शुद्धा'। लक्षणा क्या वस्तु है ? इस विषय में नैयायिक कहते हैं - "अपने शक्य (वाच्यार्थ) का सम्बन्ध लक्षणा है"। वह दो प्रकार की होती है - 'गौणी' तथा 'शुद्धा' । अपने ‘सादृश्य' सम्बन्ध द्वारा वाच्यार्थ से सम्बद्ध अर्थ को बताने वाली 'गौरणी' (लक्षणा) है। 'सादृश्य' से भिन्न सम्बन्ध के द्वारा वाच्यार्थ से सम्बद्ध अर्थ को बताने वाली शुद्धा (लक्षणा) है।
वैयाकरण विद्वान् ‘लक्षणा' वृत्ति नहीं मानते। परन्तु नैयायिक आदि विद्वानों की दृष्टि से यहां लक्षणा के स्वरूप तथा उसके विविध प्रकार की चर्चा की जा रही है ।
स्व-शक्य-सम्बन्धो लक्षणा-लक्षणा की परिभाषा में विद्यमान 'स्व' पद का अभिप्राय है--अर्थ को कहने में शक्त या समर्थ पद । शक्य का अर्थ है - 'शक्ति' अथवा 'अभिधा वृत्ति' के द्वारा कहा गया (वाच्य) अर्थ । इस प्रकार 'शक्त' या समर्थ पद के 'शक्य' या वाच्य अर्थ से 'सामीप्य' या 'सादृश्य' आदि किसी प्रकार का सम्बन्ध 'लक्षणा' है । जैसे-'गङ्गायां घोषः' (गङ्गा-तट पर घर है) इस प्रयोग में 'गङ्गा' पद 'शक्त', अर्थात् वाचक शब्द है। इस का 'शक्य', अर्थात् वाच्य, अर्थ है 'प्रवाह विशेष'। इस शक्यार्थ रूप 'प्रवाह विशेष' से तट का 'सामीप्य' सम्बन्ध है। इस रूप में 'प्रवाह विशेष' तथा 'तट' का जो सम्बन्ध वही 'लक्षणा' है तथा 'लक्ष्य' अर्थ है तट।
__गौरणी लक्षणा–गौणी लक्षणा की परिभाषा में 'स्व' पद का अभिप्राय है'शक्य' या वाच्य अर्थ । इस 'शक्य' अर्थ से उपस्थापित जो ‘सादृश्य' उसका 'अधिकरण होना' रूप सम्बन्य के द्वारा वाच्यार्थ से सम्बद्ध अर्थ का प्रतिपादन करने वाली लक्षणा 'गौणी' कही जाती है। जैसे 'गौर्वाहीकः' (वाहीक बैल है)। यहां 'गो' पद का शक्य अर्थ है 'बैल' । यही यहां 'स्व' पद से अभिप्रेत है । 'बैल' में जो जड़ता आदि अवगुण है, उनके सदृश जड़ता आदि वाहीक में भी हैं। अतः यह, बैल द्वारा प्रकट किया गया ('स्वनिरूपित'), सादृश्य है । इस ‘सादृश्य' का अधिकरण है 'वाहीक' । इस प्रकार इस
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