Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
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लक्षणा-निरूपण
[ लक्षणा में 'तात्स्थ्य' आदि अनेक धर्म निमित्त बनते हैं ]
अर्पणं स्वस्य वाक्यार्थे परस्यान्वय-सिद्धये । उपलक्षरण हेतुत्वाद् एषा लक्षरण - लक्षरणा || ( साहित्यदर्पण २.११ )
१.
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६७
सा च लक्षणा तात्स्थ्यादि - निमित्तका । तदाहतात्स्थ्यात्तथैव ताद्धर्म्यात्तत्सामीप्यात्तथैव च । तत्साहचर्यात् तादर्थ्याज् ज्ञेया वै' लक्षणा बुधैः ॥ तात्स्थ्यात् - 'मंचा हसन्ति', 'ग्रामः पलायितः' । ताद्धर्म्यात्'सिंहो माणवकः', 'गौर्वाहीक: ' । तत्सामीप्यात् - 'गंगायां घोषः ' । तत्साहचर्यात् - ' यष्टीः प्रवेशय' । तादर्थ्यात् -
'इन्द्रार्था स्थूणा इन्द्रः' ।
और वह लक्षणा 'तात्स्थ्य' (शक्य अथवा वाच्य अर्थ पर स्थित ) आदि निमित्तों वाली है । जैसा कहा गया है -- 'तात्स्थ्य' ( वाच्य अर्थ में स्थित होना), 'ताद्धर्म्य' (वाच्य अर्थ के धर्म से युक्त होना), ' तत्सामीप्य' ( वाच्य अर्थ के समीप होना), 'तत्साहचर्य' ( वाच्य अर्थ की सहचारिता) और इसी प्रकार 'तादर्थ्य' ( वाच्य अर्थ के लिए होना) के आधार पर पण्डितों के द्वारा लक्षणा जाननी चाहिये ।
'तात्स्थ्य' (सम्बन्ध) से 'मंच' ( मचान) हंसते हैं', 'गाँव भाग गया' । 'ताद्धर्म्य' (सम्बन्ध ) से - ' बालक शेर हैं', 'वाहीक बैल है' । 'तत्सामीप्य' (सम्बन्ध ) से - 'छड़ियों को अन्दर भेजो' । 'तादर्थ्य' ( सम्बन्ध ) से - 'इन्द्र के लिये बनाया गया स्तम्भ इन्द्र है' (इत्यादि उदाहरण द्रष्टव्य हैं) ।
यहाँ उन विभिन्न सम्बन्धों का उल्लेख किया गया है जिनके आधार पर लक्षरणा वृत्ति का प्रयोग किया जाता है। महाभाष्यकार पतंजलि ने भी 'पुंयोगाद् आख्यायाम् ' ( पा० ४.१.४८ ) सूत्र के भाष्य में किन कारणों से किसी पदार्थ को अन्य पदार्थ मान लिया जाता है ? इस प्रश्न के उत्तर में इन्हीं चार आधारों को गिनाया । द्र० - " कथं पुनर अतस्मिन् स इत्येतद् भवति ? तादर्थ्यात् ताद्धर्म्यात्, तत्सामीप्यात्, तत्साहचर्याद् इति" । इनके उदाहरण भी लगभग उपर्युक्त ही दिये हैं । काव्यप्रकाश की वामनी टीका ( पृ० ५३ ) में लक्षणा अथवा उपचार के प्रसंग में 'स्व-स्वामिभाव', 'अवयव अवयविभाव', तथा 'तात्कर्म्य' सम्बन्धों का उल्लेख भी मिलता है । द्र० - " क्वचित् तादर्थ्याद् उपचारः । यथा- इन्द्रार्था स्थूणा इन्द्रः । क्वचित्
ह० - च ।
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