Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
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वैयाकरण-सिद्धान्त-परम-लघु-मंजूषा
किया है । इस कारिका में 'भाव' का अभिप्राय है घट आदि 'व्यक्ति', जिसे व्यक्तिशक्ति-वादी वाच्य मानता है। ये 'भाव' या 'व्यक्तियाँ' यद्यपि अनेक या अनन्त हैं । परन्तु इनमें अनुगत अथवा व्याप्त 'असाधारण धर्म' ('जाति', 'द्रव्य', 'गुण', 'क्रिया' रूप प्रवृत्ति-निमित्त) जो सभी 'व्यक्तियों' का उपलक्षण है, एक है। इसलिये, उसके एक होने के कारण, 'व्यक्ति-शक्ति-वाद' में भी शब्द की केवल एक ही 'शक्ति' मानने से काम चल जायेगा-अनन्त 'व्यक्तियों' की दृष्टि से अनन्त 'शक्तियों' की कल्पना नहीं करनी पड़ेगी। और 'गो' आदि शब्दों में विद्यमान 'वाचकता शक्ति', 'सम्बन्ध' तथा 'शक्य' अर्थ सब का आसानी से ज्ञान हो जायेगा। इसके अतिरिक्त, 'जाति' केवल स्वाश्रयभूत सभी व्यक्तियों' का उपलक्षरण करायेगी, अन्य-जातीय 'व्यक्ति' का उपलक्षण नहीं करायेगी। इसलिये, अन्य-जातीय 'व्यक्तियाँ शक्ति ग्रह का विषय नहीं बनेंगी। इस कारण 'गो' शब्द से अश्व 'व्यक्ति' का बोध होना रूप 'व्यभिचार' दोष भी नहीं उपस्थित होता।
युक्त तत् .. बोधात् : - 'व्यक्ति-शक्ति-वाद' के समर्थन में एक और प्रबल हेतु यहाँ यह प्रस्तुत किया गया कि 'शक्ति' के बोधक हेतुओं में प्रमुखतम हेतु, 'लोकव्यवहार', भी 'व्यक्ति' में ही 'शक्ति' का बोध कराता है । इस प्रसङग में नागेश भट्ट ने 'शक्ति' के बोधक विभिन्न हेतुओं के प्रदर्शनार्थ एक श्लोक उद्धत किया है । इस श्लोक में शक्ति-बोध के आठ हेतु गिनाये गये हैं। ये हेतु हैं--व्याकरण, उपमान, कोश, आप्त-वाक्य, व्यवहार, वाक्यशेष, विवरण तथा प्रसिद्ध पद की समीपता।
व्याकरण-जैसे 'पाचक' में 'पञ्' धातु का अर्थ 'पाक' है तथा 'एल' (क) प्रत्यय का अर्थ 'कर्ता' है । इसलिये 'पाचक' शब्द का अर्थ है 'पकाने वाला'। यह बोध व्याकरण से होता है।
उपमान-जैसे 'गवय' को न जानने वाले व्यक्ति को, 'गौर इव गवय:' (गाय के समान गवय होता है) इस प्रकार के 'उपमान' से 'गवय' शब्द के शक्य अर्थ का ज्ञान होता है।
कोश-कोश के वचनों से अनेक अज्ञात अर्थ वाले शब्दों के अभिधेय अर्थ का ज्ञान होता है।
प्राप्त-वाक्य-'प्राप्त' अर्थात् जो परम विद्वान् तथा सदा सत्यभाषी मनुष्य हैं उनके वचनों से भी अज्ञात शब्दों के अर्थों का ज्ञान होता है ।
___ व्यवहार-व्यवहार' का अभिप्राय है भाषा के अनेक शब्दों का, अपने से बड़े लोगों द्वारा किये गये, प्रयोग । छोटा शिशु सर्वप्रथम अपने से बड़े, पिता, माता आदि के द्वारा किये गये शब्द-प्रयोगों को सुन कर उनके अर्थों का ज्ञान करता है । अतः इस प्रकार का प्रयोगरूप 'व्यवहार' भी शब्द की 'शक्ति' का बोधक है।
___ वाक्य-शेष-अपूर्ण वाक्य में आवश्यक पद के अध्याहार से भी अर्थ-ज्ञान होता है । जैसे-'द्वारम्' (दरवाजा) कहने पर 'पिधेहि' (बन्द करो) पद के अध्याहार से ही उसके अर्थ का ज्ञान हो पाता है। इस प्रकार के वाक्य-शेष भी शब्द की 'शक्ति' के ज्ञान में हेतु हैं।
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