Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan

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Page 496
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - समासादि-वृत्त्यर्थः ४३५ कत्रर्थकस्य कर्मार्थे लक्षणा । ततोऽपि 'समान-विभक्तिकनामार्थयोर अभेद एव संसर्गः" इति व्युत्पत्त्या उदकाभिन्न प्राप्तिकर्म इति स्यात् । उदकस्य कर्तृतया प्राप्ताव् अन्वये तु "नामार्थयोर् अभेदान्वय"-व्युपत्ति-भञ्जनं स्याद् इति तात्पर्यम् । 'नामार्थ-प्रकारक-शाब्दबुद्धित्वावच्छिन्नं प्रति विभक्त्यर्थोपस्थितेः कारणत्वम्" इति व्युत्पत्ति-भञ्जनं च। मम तु पृथक शक्त्यनङ्गीकारात विशिष्टस्यैव विशिष्टार्थवाचकत्वात नामार्थ-द्वयाभावान् न क्वचिद् अनुपपत्तिर इत्यलम् । इति समासादिवृत्त्यर्थः । इति श्रीशिवभट्ट-सुत-सतीदेवी-गर्भज-नागेशभट्ट-कृता परमलघुमंजूषा समाप्ता। 'व्यपेक्षा' सामर्थ्य में (कुछ) और दोष कहते हैं-- "तुझ (व्यपेक्षावादी) को 'चकार' आदि का निषेध तथा अनेक व्युत्पत्तियों का अतिक्रमण करना पड़ेगा। ('एकार्थीभाव' को मानने वाले) हम लोगों (वैयाकरणों) के मत में वह ('चकार' आदि का निषेध) स्वतः सिद्ध है (तथा अनेक अथवा व्युत्पत्तियों-नियमों का भी अतिक्रमण नहीं होता)। 'घटपटौ' (घड़ा और वस्त्र) इस 'द्वन्द्व' (समास के प्रयोगों) में 'साहित्य' (सह-भाव अर्थात् एक साथ होना) का द्योतन कराने वाले 'च' का निषेध तुझ ('व्यपेक्षा'-सामर्थ्य-वादी) को करना पड़ेगा। (कारिका के) 'आदि' पद से 'घनश्यामः' (बादल के समान काला) इत्यादि में 'इव' का निषेध करना होगा (यह बताया गया)। ('एकार्थीभाव' सामर्थ्य को मानने वाले) मेरे मत में तो 'साहित्य' (सह-भाव) आदि से युक्त अर्थ में ('घटपटौ') इस समुदाय की 'शक्ति' मानने से, “उक्तार्थानाम् अप्रयोगः" (जो अर्थ प्रकट हो चुका है उस के लिये शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता) इस न्याय के अनुसार, उन ('च' तथा 'इव' आदि) का प्रयोग नहीं करना पड़ता । 'बहुव्युत्पत्तिभञ्जनम्' का यह अभिप्राय है कि 'षष्ठी' विभक्ति से भिन्न अर्थ वाले 'बहुव्रीहि समास के 'प्राप्तोदकः' इत्यादि प्रयोगों में, पृथक् पथक् (अवयवों की) 'शक्ति' मानने वालों के मत में, "प्राप्ति' (रूप क्रिया) के 'कर्ता' से अभिन्न 'उदक' (प्राप्त होने वाला जल)" इत्यादि के बोध के पश्चात् उस १. ह०, वंमि०-कारणत्वात् । For Private and Personal Use Only

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