Book Title: Vyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Author(s): Nagesh Bhatt, Kapildev Shastri
Publisher: Kurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
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कारक-निरूपण
३५१
['सम्प्रदान' कारक में होने वाली चतुर्थी विभक्ति का अर्थ]
सम्प्रदानचतुर्थ्यर्थ उद्देश्यः । तथा च 'ब्राह्मणोद्देश्यक गोकर्मकं दानम्' इतिबोधः । 'मैत्रोद्देश्यकं वार्ताकर्मकं
कथनम्' इति च। गम्प्रदान-चतुर्थ्यर्थ का अर्थ है 'उद्देश्य' । अतः ('ब्राह्मणाय गां ददाति' इस प्रयोग में) "ब्राह्मण है उद्देश्य जिसमें तथा गौ है 'कर्म' जिसमें ऐसा दान" तथा ('चैत्रो मैत्राय वार्ताः कथयति' इस प्रयोग में) "मैत्र है 'उद्देश्य' जिसमें तथा वार्ता है 'कर्म' जिसमें ऐसा कथन" यह बोध होता है।
'सम्प्रदान' कारक में विहित चतुर्थी का अर्थ है 'उद्देश्य' क्योंकि "कर्मणा यम् अभिप्रेति०" सूत्र का अभिप्राय है किसी भी धातु से उपस्थापित 'व्यापार' से उत्पन्न होने वाले 'फल' के आश्रय के रूप में, या 'कर्म' से सम्बन्ध जोड़ने के लिये, 'कर्ता' जिसकी इच्छा करता है, उद्देश्य' बनाता है, उस 'उद्देश्यभूत 'कारक' की 'सम्प्रदान' संज्ञा होती है और इस 'सम्प्रदान' संज्ञक कारक में “सम्प्रदाने चतुर्थी" (पा. २.३.१३) सूत्र चतुर्थी विभक्ति का विधान करता है। इसलिये 'सम्प्रदान' कारक' में होने वाली चतुर्थी विभक्ति का अर्थ 'उद्देश्य' ही हो सकता है। इसी 'उद्देश्य' को नागेश ने शेखर में 'सम्प्रदानत्वशक्तिमान्' कहा है। द्र०-"सम्प्रदानत्व शक्तिमान् सम्प्रदानचतुर्थ्यर्थः । स एव उद्देश्य इत्युच्यते” (शब्देन्दुशेखर, गुरुप्रसाद शास्त्री सम्पादित, पृ० ७१७) ।
[सम्प्रदान कारक की एक दूसरी परिभाषा
"अकर्मक क्रियोद्देश्यत्वं सम्प्रदानत्वम्" इति लक्षणान्तरम् । यथा- 'पत्ये शेते' इत्यादि । 'पत्युद्देश्यक नायिका-कर्तृक शयनम्' इति बोधः ।
"अकर्मक' क्रिया का उद्देश्य बनना 'सम्प्रदानता' है" यह 'सम्प्रदान' की दूसरी परिभाषा है। जैसे-'पत्ये शेते' (पति के लिये सोती है) इत्यादि । (यहां) "पति है 'उद्देश्य' जिसमें तथा पत्नी है शयन करने वाली जिसमें ऐसा शयन" यह बोध होता है।
ऊपर 'सम्प्रदान कारक' की जो परिभाषा की गयी उसमें 'कर्म' शब्द विद्यमान है, इसलिये उसके अनुसार केवल 'सकर्मक' धातुओं के प्रयोग में ही 'सम्प्रदान' कारक की स्थिति सुसंगत मानी जा सकती है, 'अकर्मक' धातुओं के प्रयोग में नहीं क्योंकि वहां 'कर्म' कोई होता ही नहीं । इसलिये यहां 'सम्प्रदान' कारक की दूसरी परिभाषा
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