Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१८]
छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ५, ९. सत्तमभागम्मि पंचसुण्णाणुवलंभादो । ण च एदम्हादो रज्जुविक्खंभो ऊणो होदि, रज्जुअब्भं. तरभूदस्स चउब्बीसजोयणमेत्तवादरुद्धक्खेत्तस्स बज्झमुवलंभादो । ण च तेत्तियमेत्तं पक्खित्ते पंचसुण्णओ फिटृति, तहाणुवलंभादो । तम्हा सयलदीव-सायरविक्खभादो बाहिं केत्तिएण वि क्खेत्तेण होदव्वं । सयंभुरमणसमुद्दभंतरे द्विदमहामच्छो जलचरो कधं तस्स बाहिरिल्लं तडं गदो ? ण एस दोसो, पुव्ववइरियदेवपओगेण तस्स तत्थ गमणसंभवादो ।
वेयणसमुग्धादेण समुहदो ॥९॥
वेयणावसेण जीवपदेसाणं विक्खंभुस्सेहेहि तिगुणविपुजणं वेयणासमुग्धादो णाम । ण च एस णियमा सव्वेसिं जीवपदेसा वेयणाए तिगुणं चेव विपुंजति त्ति, किंतु सगविक्खंभादो तरतमसरूवेण ट्ठिदवेयणावसेण एग-दोपदेसादीहि वि वड्डी होदि । ते वेयणसमुग्घादा एत्थ ण गहिदा, उक्कस्सेण खेत्तेण अहियारादो । महामच्छो चेव किमिदि वेयणसमुग्घादं णीदो ? महल्लोगाहणत्तादो, जलयरस्स थले क्खित्तस्स उण्हेण दज्झमाणंगस्स संचियबहुपावकम्मस्स महावयणुप्पत्तिदंसणादो च ।।
तिर्यग्लोकका विस्तार इतने मात्र ही हो, सो भी नहीं है। क्योंकि, जगश्रेणिके सातवें भागमें पांच शून्य नहीं पाये जाते । और इससे राजुविष्कम्भ हीन भी नहीं है, क्योंकि राजुके अन्तर्गत चौबीस योजन प्रमाण वायुरुद्ध क्षेत्र बाह्यमें पाया जाता है। दूसरे, उतने मात्र क्षेत्रको मिलाने पर पांच शून्य नष्ट भी नहीं होते, क्योंकि, वैसा पाया नहीं जाता । इसी कारण समस्त द्वीप-समुद्र सरन्धी विस्तारके बाहिर भी कुछ क्षेत्र होना चाहिये।
शंका-स्वयम्भूरमण समुद्रके भीतर स्थित महामत्स्य जलचर जीव उसके बाह्य तटको कैसे प्राप्त होता है ?
समाधान-यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, पूर्वके वैरी किसी देयके प्रयोगसे उसका वहां गमन सम्भव है।
वेदनासमुद्घातसे समुद्घातको प्राप्त हुआ ॥९॥
वेदनाके वशसे जीवप्रदेशोंके विष्कम्भ और उत्सेधकी अपेक्षा तिगुणे प्रमाणमें फैलनेका नाम वेदनासमुद्घात है। परन्तु सबके जीवप्रदेश वेदनाके वशसे तिगुणे ही फैलते हों, ऐसा नियम नहीं है। किन्तु तरतम रूपसे स्थित वेदनाके वशसे अपने विष्कम्भकी अपेक्षा एक दो प्रदेशादिकोंसे भी वृद्धि होती है । परन्तु उन वेदनासमुद्घातोंका यहां ग्रहण नहीं किया गया है, क्योंकि, यहां उत्कृष्ट क्षेत्रका अधिकार है।
शंका-महामत्स्यको ही वेदनासमुद्घातको क्यों प्राप्त कराया है ?
समाधान- क्योंकि, एक तो उसकी अवगाहना बहुत अधिक है, दूसरे जलचर जीवको स्थलमें रखनेपर उष्णताके कारण अंगोंके संतप्त होनेसे बहुत पापकौके संचयको प्राप्त हुए उसके महा वेदनाकी उत्पत्ति देखी जाती है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org