Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

Previous | Next

Page 409
________________ [१६] परिभाषिक शब्द-सूची शब्द पृष्ठ शब्द पृष्ठ शब्द अव्वोगाढअल्पब हुत्व १४७, चतुर्थस्थान अनुभागबन्ध ,, प्रधानद्रव्यकाल १६३, १७७|चतु:स्थानवन्धक प्रमाणकाल असंख्यातगुणवृद्धि ३५१ चूलिका असंख्यातभागवृद्धि भावजघन्य असंख्येयवर्षायुप्क ८९,९० छेदगुणकार भावतः आदेशजघन्य असातबन्धक छेदभागहार भावतः उत्कृष्ट १२८ २२५ आ २ ९०, ११५ २० ३३९ दर्शनोपयोग Mr. १२, ८५ आगमभावकाल जघन्यबन्ध लब्धमत्स्य आगमभावक्षेत्र जघन्यस्थिति लोक आगमभाव जघन्य ज-स्थितिबन्ध लोकोत्तरसमाचारकाल ७६ आदेश उत्कृष्ट जलचर लौकिकसमाचारकाल आदेश जघन्य झानोपयोग आदेशतः काल जघन्य विग्रह आबाधा ९२,२०२,२६१ विशुद्धता ३१४ आबाधा काण्डक ९२,२६६ तृतीयस्थान विशुद्धि २०९ आषाधा स्थान १६२,२७१ त्रिस्थानबन्धक विशुद्धिस्थान २०८,३०९ वीचारस्थान उत्कृष्ट दाह ३३३ वेदना उत्कृष्ट स्थितिसंक्लेश ९१ दाह वेदनाक्षेत्रविधान दाहस्थिति ४. वेदनासमुद्धात द्रव्य उत्कृष्ट एकस्थान ३१३ द्रव्य जघन्य ओघ उत्कृष्ट द्रव्यतः आदेश जघन्य १२ सचित्तकाल द्वितीय स्थान ओघ जघन्य द्विस्थानबन्धक समाचारकाल समुदाहार ३०८ कर्मक्षेत्र उत्कृष्ट संक्लेश २०९, ३०२ कर्मक्षेत्र जघन्य ध्रुवस्थिति ३५० संक्लेशस्थान २०८ कर्मभूमिप्रतिभाग संख्यातगुणवृद्धि ३५१ काकलेश्या निर्वर्गणाकाण्डक ३६३ संख्यातभागवृद्धि काक जघन्य २३७ संख्येयवर्षायुष्क कालतः उत्कृष्ट १३ नोआगमभावकाल ७७ सातबन्धक नोआगमभावक्षेत्र २ सिक्थमत्स्य क्षेत्र जघन्य ८५ नोआगमभावजघन्य १३ स्थलचर . ९०, ११५ क्षेत्रतः आदेशजघन्य १२ नोकर्मक्षेत्र उत्कृष्ट स्थिबन्धस्थान १४२, १५२, नोकर्मक्षेत्रजघन्य २०५, २२५ खगवर . स्थितिबन्धाध्यवसान ३१० पञ्जिका ३०३ स्वस्थान जघन्यस्थिति ३२९ चतुर्थस्थान ३१३ परम्परोपनिधा ३५२ १३ समभागहार १२७ .७६ ८५ निषेक क्षेत्र ९०,११५/ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 407 408 409 410