________________ जैन साहित्य उद्धारक फंड तथा कारंजा जैन ग्रन्थमालाओं में डॉ. हीरालाल जैन द्वारा आधुनिक ढंगसे सुसम्पादित होकर काशित जैन साहित्यके अनुपम ग्रंथ प्रत्येक ग्रन्थ सुविस्तृत भूमिका, पाठभेद, टिप्पण व अनुक्रमणिकाओं आदिसे खूब सुगम और उपयोगी बनाया गया है। 1 षदखंडागम-[धवलसिद्धान्त ] हिन्दी अनुवाद सहित पुस्तक 1, जीवस्थान-सत्यरूपणा पुस्तकाकार व शास्त्राकार (अप्राप्य ) पुस्तक 2, पुस्तकाकार 10) , पुस्तक 3, जीवस्थान-द्रव्यप्रमाणानुगम, 10) , पुस्तक 4, क्षेत्र-स्पशन-कालानुगम पुस्तकाकार व शास्त्राकार , पुस्तक 5-9 (प्रत्येक भाग), 10) , 12), पुस्तक 10-12, वेदना अनुयोगद्वार / प्रत्येक भाग पुस्तक 12) शास्त्राकार 14) यह भगवान् महावीर स्वामीकी द्वादशांग वाणीसे सीधा संबन्ध रखनेवाला, अत्यन्त प्राचीन, जैन सिद्धान्तका खूब गहन और विस्तृत विवेचन करनेवाला सर्वोपरि प्रमाण ग्रंथ है। श्रुतपंचमीकी पूजा इसी ग्रंथकी रचनाके उपलक्ष्यमें प्रचलित हुई। 2 यशोधरचरित-पुष्पदंतकृत अपभ्रंश काव्य इसमें यशोधर महाराजका अत्यंत रोचक वर्णन सुन्दर काव्यके रूपमें किया गया है। इसका सम्पादन डॉ. पी. एल. वैद्य द्वारा हुआ है। 3 नागकुमारचरित-पुष्पदंतकृत अपभ्रंश काव्य / इसमें नागकमारके सुन्दर और शिक्षापूर्ण जीवनचरित्र द्वारा श्रतपंचमी विधानकी महिमा बतलाई गई है / यह काव्य अत्यन्त उत्कृष्ट और रोचक है / 4 करकडूवारत-मुनि कनकामरकृत अपभ्रश काव्य जा) इसमें करकंडु महाराजका चरित्र वर्णन किया गया है, जिससे जिनपूजाका माहात्म्य प्रकट होता है / इससे धाराशिवकी जैन गुफाओं तथा दक्षिणके शिलाहार राजवंशके इतिहास पर भी अच्छा प्रकाश पड़ता है। 5 श्रावकधमंदोहा-हिन्दी अनुवाद सहित इसमें श्रावकोंके व्रतों व शीलों का बड़ा ही सुन्दर उपदेश पाया जाता है। इसकी रचना दोहा छंदमें हुई है। प्रत्येक दोहा काव्यकलापूर्ण और मनन करने योग्य है। 6 पाहुडदोहा-हिन्दी अनुवाद सहित इसमें दोहा छंदोद्वारा अध्यात्मरमको अनुपम गंगा बहाई गई है जो अवगाहन करने योग्य है। 7 सिद्धान्त-समीक्षा-संजय सम्बन्धी लेखों और प्रतिलेखों का संग्रह डॉ. हीरालाल जैन कृत / मू. 4 ) 7)