________________
१५६] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ६, ५०. गुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधट्टाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधट्ठाणाणि एगख्वेण विसेसाहियाणि । तस्सेव मोहणीयस्स हिदिबंधहाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं टिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो। हिदिबंधट्ठाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधहाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव मोहणीयस्स हिदिबंधहाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चदुरिंदियअपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो। हिदिबंधट्ठाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधट्ठाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव मोहणीयस्स हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो। हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पज्जत्तयस्य णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधटाणविसेसो विसेसाहिओ । हिदिबंधहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव · मोहणीयस्स हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेजगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगस्वेण विसेसाहियाणि । असण्णिपंचिंदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाणं हिदिबंधहाणविसेसो संखेजगुणो । हिदिबंधहाणाणि
कर्मका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उसीके चार काँका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष आधिक हैं। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके चार कर्मोंका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगृणा है। स्र्थाि एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके चार कार्मीका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके चार कर्मोका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । असंही पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्र कर्मका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके चार कर्मोका
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org