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१, २, ६, १६४.] वेपणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अपाबहुअपरूवणा [२८७ विसेसाहिया । मोहणीयस्स जहण्णिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा क्सेिसाहिया । आउअस्स हिदिबंधहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसा हिओ। णामा-गोदाणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि असंखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणं गाणापदेसगुहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि संखेजगुणाणि । सत्तण्णं कम्माणमेगपदेसगुणहाणिहाणंतरमसंखेजगुणं । सत्तण्णं कम्माणमेगभाबाहाकंदयमसंखेजगुणं । णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणाणि असंखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबधंढाणाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधहाणाणि संखेजगुणाणि । णामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिबंधो असंखेजगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । एवं सत्थाणप्पाबहुगं समत्तं ।।
परत्थाणे पयदं- सुहुमेइंदियअपज्जत्तयाण णामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि थोवाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । बादरएइंदियअपज्जत्तयाणं णामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणं आबाहाहाणाणि
आबाधा विशेष अधिक है । मोहनीयकी जघन्य आवाधा संख्यातगुणी है । उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । आयुके स्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट स्थितिवन्ध विशेष अधिक है। नाम-गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं । चार कमें के मानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं । मोहनीयके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर संख्यातगुणे हैं। सात काँका एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है। सात कमाका एक आबाधाकाण्डक असंख्यातगुणा है । नाम-गोत्रके स्थितिबन्धस्थान असंख्यातगुणे हैं । चार काँके स्थितिबन्धस्थान विशेष अधिक हैं। मोहनीयके स्थितिबन्धस्थान
हैं। नाम व गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है। उत्कृष्ट स्थिति बन्ध विशेष अधिक है। चार कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। इस प्रकार स्वस्थान अल्पबहुत्व समाप्त हुआ। ___ अब परस्थान अल्पब हुत्वका अधिकार है -सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तक जीवोंके नाम व गोत्रकै आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य व स्तोक हैं। चार कर्मोंके आवाधा. . स्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक हैं। मोहनीयके आबाधास्थान और आषाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तक जीपोंके नाम-गोत्रके आवाधास्थान और आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं। चार
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