Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 386
________________ ४, २, ६, २६८.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ट्ठिदिबंधज्झवसाणपख्वणा T३६१ चेव वत्तव्वं । णवरि उक्कस्सटिदिअज्झवसाणहाणाणि सव्वज्झवसाणट्ठाणाणमसंखेजा भागा होति । एवं भागाभागपरूवणा समत्ता । सव्वत्थोवाणि णाणावरणीयस्य जहणियाए द्विदीए द्विदिबंधज्झवसाणट्ठाणाणि १६ । उक्कस्सियाए हिदीए द्विदिबंधज्झवसाणाणि असंखेजगुणाणि । को गुणगारो? अण्णोण्णब्भत्थरासी १६ । अजहण्ण-अणुक्कस्सहिदिबंधज्झवसाणहाणाणि असंखेजगुणाणि । को गुणगारो ? किंचूणदिवडगुणहाणीयो । तस्स पमाणमेदं १६३ । ३२ । पुणो एदेण उक्कस्सहिदिअज्झवसाणहाणेसु गुणिदेसु अजहण्ण-अणुक्कस्सहिदिबंधज्झवसाणहाणपमाणं होदि १३०४ । अणुक्कस्सियासु हिदीसु हिदिबंधज्झवसाणाणि विसेसाहियाणि । केत्तियमेत्तेण ? जहण्णट्ठिदिअज्झवसाणमेत्तेण १३२० । अजहण्णियासु द्विदीसु द्विदिबंधज्झवसाणट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । केत्तियमेत्तेण ? जहण्णहिदिअज्झवसाणेहि परिहीणउक्कस्सटिदिअज्झवसाणमेत्तेण १५६०'। सव्वासु हिदीसु अज्झवसाणहाणाणि विसेसाहियाणि । केत्तियमेत्तेण ? जहण्णहिदिअज्झवसाणमेत्तेण १५७६ । ___आउववजाणं छण्णं पि कम्माणं एवं चेव वत्तव्वं । आउअस्स जहणियाए हिदीए हिदिबंधज्झवसाणट्ठाणाणि थोवाणि । अजहण्णअणुक्कस्सियासु.हिदीसु हिदिबंधज्झवसाणहाआयुके विषयमें भी इसी प्रकार ही कथन करना चाहिये । विशेष इतना है कि आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थिति सम्बन्धी अध्यवसान समस्त अध्यवसानस्थानोंके असंण्यात बहुभाग प्रमाण हैं। इस प्रकार भागाभाग प्ररूपणा समाप्त शानावरणीयकी जघन्य स्थिति सम्बन्धी स्थितिबन्धाध्यवसागस्थान सबसे स्तोक हैं (१६)। उत्कृष्ट स्थितिसम्बधी स्थितिबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? गुणकार अन्योन्याभ्यस्त राशि है (१६)। अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थिति. बन्धाध्यवसानस्थान असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? गुणकार कुछ कम डेढ गुणहानियां हैं । उसका प्रमाण यह है-१३३ । इसके द्वारा उत्कृष्ट स्थिति सम्बधी अध्यवसानस्थानोंको गुणित करनेपर अजघन्य अनुस्कृष्ट स्थितिबन्धाध्यवसानस्थानोंका प्रमाण होता है-२५६४१३३१३०४ । अनुत्कृष्ट स्थितियोंमें स्थितिबन्धाध्यवसानस्थान विशेष अधिक हैं । कितने मात्रसे वे विशेष अधिक हैं ? जघन्य स्थितिके अध्यवसानस्थानोंके प्रमाणसे वे अधिक हैं । १३०४+१६=१३२० अजघन्य स्थितियोंमें स्थितिबन्धाभ्यवसानस्थान विशेष अधिक हैं । कितने मात्रसे अधिक हैं ? जघन्य स्थितिके अध्यवसानस्थानोंसे हीन उत्कृष्ट स्थितिके अध्यवसानस्थानोंके प्रमाणसे वे अधिक हैं-१३२०+(२५६-१६)-१५६०। सब स्थितियों में अध्यवसानस्थान विशेष अधिक हैं। कितने मात्रसे अधिक हैं। जघन्य स्थितिके अध्यषसानस्थानोंके प्रमाणसे विशेष अधिक है-२५६०+१६-१५७६ । आयु कर्मको छोड़कर छह कौके स्थितिबन्धाध्यवसानस्थानोंके अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा इसी प्रकारसे करना चाहिये । आयु कर्मकी जघन्य स्थितिमें स्थितिबन्धाध्यवसानस्थान स्तोक हैं । अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थितियोंमें स्थितिबन्धाध्यवसानस्थान असंख्यात १ प्रतिषु १०६०५ एवंविधान संदृष्टिः। . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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