Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 315
________________ २९.] छक्खंडागमे वेयणाखंड [४, २, ६, १६४. विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । चोदसण्हं जीवसमासाणमाउअस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो। सत्तण्णमपजत्ताणं जीवसमासाणमाउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स आउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बादरेइंदियपजत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्य णामा-गोदाण जहणिया आबाहा विसेसाहिया । बादरेइंदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाण जहणिया आबाहा विसेसाहिया । सुहुमेइंदियअपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। बादरेइंदियअपजतयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । सुहुमेइंदियपजत्तयस्स णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बादरेइंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। बादरेइंदियपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । सुहुमेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया। बादरेइंदियअपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बादरेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । एवं सेसपदाणि विसेसाहियाणि त्ति वत्तवाणि । बादरेइंदियपजत्तयस्स विशेष अधिक हैं । मोहनीयके आबाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यात गुणे हैं। चौदह जीवसमासोंके आयुकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। सात अपर्याप्त जीवसमासोंके आयुके आवाधास्थान संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके आयु कर्मके आवाधास्थान संख्यातगुणे हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तककेनाम गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम-गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। बावर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके [नाम-गोत्रकी] उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्ति के नाम-गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कमौकी जघन्य आधा विशेष अधिक है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कर्मों की जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके चार काँकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके चार कमाकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार काकी उत्कृष्ट भाषाधा विशेष अधिक है । बाद एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कमौकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। इसी प्रकार उसके शेष पद विशेष अधिक हैं, ऐसा कहना चाहिये । षादर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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