Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२९४ ] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, ६, १६४. संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चदुण्णं कम्माणमाबाहट्ठाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आवाहा विसेसाहिया । मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुलाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बादरएइंदियपजत्ताणमाउअस्स आबाहाट्ठाणाणि विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । पंचिंदियसण्णि-असण्णीणं पजत्ताणमाउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसा हिया । बारसण्णं जीवसमासाणमाउअस्स हिदिबंधट्टाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । असण्णिपंचिंदियपजत्ताणमाउअस्स णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि असंखेजगुणाणि । सुहुमेइंदियअपजत्ताण णामा-गोदाणं णाणापदेसगुहाणिहाणंतराणि असंखेजगुणाणि। बादरेइंदियअपजत्ताणं णामा-गोदाणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । सुहमेइंदियपजत्ताणं णामा-गोदाणं णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि विसेसाहियाणि । बादरेइंदियपजत्ताण णामा-गोदाणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । बादरएइंदियअपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । सुहुमेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । बादरेइंदियपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि विसेसाहियाणि । सुहुमेइंदिय
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संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चार कर्मों के आबाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। मोहनीयके आबाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके आयुके आबाधास्थान विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। पंचेन्द्रिय संशी व असंही पर्याप्तक जीवोंके आयुके आबाधास्थान :संख्यातगुणे हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। बारह जीवसमासोंके आयुके स्थितिबन्धस्थान संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। असंही पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके आयुके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं । सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तक जीवोंके नाम गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं । बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तक जीवोंके नाम-गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके नाम गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके नाम-गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म एकेन्द्रिय
इय अपयोप्तकके चार कमाके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके चार कमौके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कमौके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं। बादर पकेन्द्रिय पर्याप्तकके चार कर्मोंके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक है।
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