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१७२] छक्खंडागमे वेयणाखंडं
[४, २, ६, ५० आबाहाहाणाणि एगस्वेण विसेसाहियाणि' । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पजत्तयस्स णामागोदाणमाबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चदुण्णं. कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ। आबाहाहाणाणि एगस्वेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेज्जगुणो । आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चोदसण्णं जीवसमासाणमाउअस्स जहणिया आबाहा संखेज्जगुणा । सत्तण्णं पि अपज्जत्तजीवसमासाणमाउअस्स आबाहाहाणविसेसो संखेज्जगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स आउअस्स आबाहाहाणविसेसो संखेज्जगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। बादरएइंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेज्जगुणा । सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया। बादरेइंदियअपजत्तयस्सं णामा-गोदाणं जहण्णिया आबाहा क्सेिसाहिया । सुहुमेइंदियअपजत्तयस्सै णामा-गोदाणं जहणियाँ आबाहा विसेसाहिया । तस्सेवं णामा-गोदाणअधिक हैं। चार कर्मोंका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके पर्याप्तकके नाम घ गोत्रका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चार कमाका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चौदह जीवसमासोंके आयुकी जघन्य आवाधा संख्यातगुणी है । सातों ही अपर्याप्तक जीवसमासोंके आयुका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके आयुका आबांधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आवाधा संख्यातगुणी है । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है।
१ अप्रतावतोऽग्रे 'मोहणी. आबाहाट्ठाणविसेसो संखे० गुणो' इत्यधिकं वाक्यं समुपलभ्यते । २ अ-आ-काप्रतिषु 'पज०' इति पाठः। ३ मप्रतिपाठोऽयम् । अ-आ-काप्रतिषु सहमे इंदियपज०' इति पाठः। ४ काप्रतो ‘णामा-गोदाणमुक्क. ' इति पाठः। ५ ताप्रती 'सुहुमेइंदियपज णामा गोदाणं जह० आबाहा विसे०।। बादरेइंदियपज. णामागोदाणं जह. आबाहा विसेसाहिया। सुहमेइंदिय. विसे०]। तत्सेव' इति पाठः।
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