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१७४ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ६, ५०. उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बेइंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स णामा-गोदाणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स नामागोदाणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्य चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्य चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तेइंदियपज्जत्तस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तेइंदियपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्से चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहियो । तस्सेव पज्जत्तयस्स चदुण्हं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । बेइंदियपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उकस्सिया उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। द्वीन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके चार कर्मोंकी जघन्य आवाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तके चार कर्माकी जघन्य आवाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके चार कौकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। त्रीन्द्रिय पर्याप्तकके नाम गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। त्रीन्द्रिय पर्याप्तकके चार कमौकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीक पर्याप्तकके चार कर्मों की उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। द्वीन्द्रिय पर्यप्तको मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चतुरिन्द्रिय
१ प्रतिषु 'पज०' इति पाठः। २ प्रतिषु नास्तीदं वाक्यम् , मप्रतौ स्वस्ति ।
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