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__छाखंडागमे वेयणाखंड [४, २, ६, १६४. सूचिदाणं सत्याण-परल्याणअप्पाबहुआणं परवणं कस्सामो। सत्थाणे पयदं-पंचिंदियाणं पजत्तयाणं सण्णीणं सव्वत्थोवा आउअस्स जहण्णिया आबाहा। जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । णामा-गोदाणं जहण्णिया आबाहा संखेजगुणा । चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । णामा-गोदाणमाबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणा आबाहाकंदयाणि च दो वि तुलाणि विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। मोहणीयस्स आबाहाहाणाणि आबाहाकंदयाणि च दो वि तुल्लाणि असंखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । आउअस्स आबाहाहाणाणि संखेजगुणाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । आउअस्स णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि असंखेजगुणाणि । गामा-गोदाणं णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि संखेजगुणाणि । चदुण्णं कम्माणं णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणतराणि विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स णाणापदेसगुणहाणिहाणंतराणि संखेजगुणाणि । अट्ठण्णं कम्माणं एगपदेसगुणहाणिहाणंतरमसंखेजगुणं । सत्तण्णं कम्माणमेगमाबाहाकंदयमसंखेजगुणं । आउअस्स हिदिबंधट्ठाणाणि असंखेजगुणाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । णामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो। चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंघो विसेसाहिओ।
- अब इस अल्पबहुत्वसूत्रसे सूचित स्वस्थान और परस्थान अल्पबहुपकी प्ररूपणा करते हैं। इनमें स्वस्थान अल्पबहुत्व प्रकृत है--संशी पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके आयुकी जघन्य आबाधा सबसे स्तोक है । जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। नाम | गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। नाम व गोत्रके आवाधास्थान व आवाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य व संख्यातगुणे हैं। उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। चार कर्मोके आवाधास्थान और आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य व विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । मोहनीयके आवाधास्थान व आबाधाकाण्डक दोनों ही तुल्य. असंण्यातगुणे हैं। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। आयुके आवाधास्थान संख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । आयु कर्मके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं । नाम-गोत्रके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर संख्यातगुणे हैं। चार कर्मों के नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर विशेष अधिक हैं। मोहनीयके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर संख्यातगुणे हैं। आठ काँका एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है। सात कमौका एक आवाधाकाण्डक असंण्यातगुणा है। आयुके स्थितिवन्धस्थान असंख्यातगुणे हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। नाम-गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। चार कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। मोहनीयका जघन्य
१मप्रतिपाठोऽयम् । अ-आ-का-ताप्रतिषु 'संखेजगुणाणि' इति पाठः।
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