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४, २, ६, १६४.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अप्पाबहुअपरूवणा
[२७९ उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया ॥ १५८ ॥ • केत्तियमेत्तो विसेसो ? आवलियाए असंखेजदिभागमेत्तो।। - णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि असंखेज्जगुणाणि ॥१५९ ॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो उक्कस्साबाहोवट्टिदणाणागुणहाणिसलागाओ वा ।
एयपदेसगुणहाणिट्ठाणंतरमसंखेज्जगुणं ॥ १६० ॥ सुगममेदं ।
एयमाबाहाकंदयमसंखेज्जगुणं ॥ १६१॥ एदं पि सुगमं । ठिदिबंधट्ठाणाणि असंखेज्जगुणाणि ॥ १६२॥ को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो।
जहण्णओ द्विदिबंधो असंखेजगुणो ॥ १६३ ॥ को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो। उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ ॥ १६४ ॥ केत्तियमेत्तेण ? पलिदोवमस्स असंखेजदिभागमेत्तेण । संपहि एदेण अप्पाबहुअसुत्तेण उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है ॥ १५८ ॥ विशेष कितना है? वह आवलीके असंख्यात भाग प्रमाण है।
नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं ॥ १५९ ॥
गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग अथवा उत्कृष्ट आवाधासे अपवर्तित नानागुणहानिशलाकायें हैं।
एकप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है ॥ १६० ॥ यह सूत्र सुगम है। • एक आबाधाकाण्डक असंख्यातगुणा है ॥ १६१ ॥ यह सूत्र भी सुगम है। स्थितिबन्धस्थान असंख्यातगुणे हैं ॥ १६२॥ . गुणकार क्या है ? गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है। . जघन्य स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है ॥ १६३ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है।
उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है ॥ १६४ ॥ वह कितने मात्रसे विशेष अधिक है ? यह पल्योपमके असंख्यातवें भागमात्रसे अधिक है।
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