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४, २, ६, १५२. ] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे अप्पाबहुअपरूवणा
जहणिया आबाहा संखेज्जगुणा ॥ १४८ ॥
कुदो ? संखेज्जावलियमेत्तजहण्णाबाहाए आवलियाए संखेजदिभागमेत्तआबाहट्ठाणेहि भागे हिदाए संखेजरूवोवलं भादो ।
उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया ॥ १४९ ॥ केत्तियमेत्तेण ? आवलियाए संखेजदिभागमेत्तेण ।
णाणापदेस गुणहाणिद्वाणंतराणि असंखेज्जगुणाणि ॥ १५० ॥ कुदो ? संखेज्जावलियमेत्तउक्कस्साबाहाए पलिदोवमस्स असंखेजदिभागमेत्तणाणापदेस गुणहाणिङ्काणंतरेसु अवहिरिदेसु असंखेजरूवोवलंभादो ।
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एयपदे सगुणहाणिट्टानंतरमसंखेज्जगुणं ॥ १५१ ॥
कुदो ? पलिदोवमच्छेदणाणं संखेज्जदिभागमेत्तणाणापदेसगुणहाणिसला गाहि असंखेजपलिदोवमपढमवग्गमूलमेत्तएयपदेसगुणहाणिट्ठाणंतरे भागे हिदे असंखेजरूवोवलंभादो ।
एयमाबाधाकंदयमसंखेज्जगुणं ॥ १५२ ॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो उक्कस्साबाहाए ओवट्टिदणाणागुणहासिलागाओ वा ।
जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है ॥ १४८ ॥
क्योंकि, संख्यात आवलियों प्रमाण जघन्य आबाधामें आवलीके संख्यातवें भाग मात्र आबाधास्थानों का भाग देनेपर संख्यात अंक प्राप्त होते हैं ।
उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है ॥ १४९ ॥
कितने मात्र से वह विशेष अधिक है ? वह आवलीके संख्यातवें भाग मात्र से विशेष अधिक है ।
नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणे हैं ॥ १५० ॥
क्योंकि, संख्यात आवली प्रमाण उत्कृष्ट आबाधाका पल्योपमके असंख्यातवें भाग मात्र नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तरोंमें भाग देनेपर असंख्यात अंक लब्ध होते हैं । एकप्रदेश गुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है ॥ १५१ ॥
क्योंकि, पल्योपमके अर्धच्छेदोंके संख्यातवें भाग प्रमाण नानाप्रदेश गुणहा निशालाकाका पल्योपमके असंख्यात प्रथम वर्गमूल प्रमाण एक प्रदेशगुणद्वानिस्थानान्तर में भाग देनेवर असंख्यात अंक लब्ध होते हैं ।
एक आबाधाकाण्डक असंख्यातगुणा है ॥ १५२ ॥
गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग अथवा उत्कृष्ट भाबाधाले अपवर्तित नानागुणहानिशलाकायें हैं ।
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