Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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४, २, ६, १०९.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे णिसेयपख्वणा [ २५१
पंचिंदियाणमसण्णीणं चउरिदियाणं तीइंदियाणं बीइंदियाणं बादरएइंदियपज्जत्तयाणमाउअस्स पुवकोडित्तिभागं बेमासं सोलसरादिदियाणि सादिरेयाणि चत्तारिवासाणि सत्तवाससहस्साणि सादिरेयाणि आबाहं मोत्तूण जं पढमसमए पदेसग्गं णिसित्तं तं बहुगं, जं बिदियसमए पदेसग्गं णिसित्तं तं विसेसहीणं, जं तदियसमए पदेसग्गं निसित्तं तं विसेसहीणं, एवं विसेमहीणं विसेसहीणं जाव उक्कस्सेण पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो पुव्वकोडि चि ॥१०९॥
___असण्णिपंचिंदियपज्जत्ताणं पुव्वकोडितिभागो आबाहा होदि, तेसु भुंजमाणाउअस्स पुवकोडिपमाणस्स उवलंभादो । चउरिदिएसु उक्कस्साबाहा बे मासा, तत्थ सव्वुक्कस्सभुंजमाणाउअस्स छम्मासपमाणत्तुवलंभादो । तेइंदिएसु सोलसरादिदियाणि सादिरेयाणि उक्कस्साबाहा होदि, तेसु एगृणवण्णरादिदियमेत्तपरमाउदंसणादो। बीइंदिएसु चत्तारिवासाणि उक्कस्साबाहा होदि, तत्थ बारसवासमेत्तपरमाउदसणादो । बादरेइंदियपज्जत्तएसु सत्तसहस्सतिण्णिसदतेत्तीसवासाणि चत्तारिमासा च उक्कस्साबाहा होदि, तत्थ बावीससहस्समेत्त
असंज्ञी पंचेन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, द्वीन्द्रिय और बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके आयु कर्मकी क्रमशः पूर्वकोटिके तृतीय भाग, दो मास साधिक सोलह दिवस, चार वर्ष, और साधिक सात हजार वर्ष प्रमाण आबाधाको छोड़कर जो प्रदेशपिण्ड प्रथम समयमें निषिक्त है वह बहुत है, जो प्रदेशपिण्ड द्वितीय समयमें निषिक्त है वह उससे विशेषहीन है, जो प्रदेशपिण्ड तृतीय समयमें निषिक्त है वह उससे विशेषहीन है, इस प्रकार उत्कर्षसे पल्योपमके असंख्यातवें भाग व पूर्वकोटि तक विशेषहीन विशेषहीन होता गया है ॥ १०९॥ ___असंही पंचेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंके आयुर्मकी आबाधा पूर्वकोटिके त्रिभाग प्रमाण होती है, क्योंकि, उनमें भुज्यमान आयु पूर्वकोटि प्रमाण पायी जाती है । चतुरिन्द्रिय जीवोंमें उसकी उत्कृष्ट आबाधा दोमास प्रमाण होती है, क्योंकि, उनमें सर्वोत्कृष्ट भुज्यमान आयु छह मास प्रमाण पायी जाती है। त्रीन्द्रिय जीवोंमें उत्कृष्ट आवाधा साधिक सोलह दिवस प्रमाण होती है, क्योंकि, उनमें उनचास दिवस प्रमाण उत्कृष्ट आयु देखी जाती है। द्वीन्द्रिय जीवोंमें चार वर्ष प्रमाण उत्कृष्ट आवाधा होती है, क्योंकि, उनमें बारह वर्ष प्रमाण उत्कृष्ट आयु देखी जाती है। बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक जीवोंमें उत्कृष्ट आबाधा सात हजार तीन सौ तेतीस वर्ष व चार मास प्रमाण होती है, क्योंकि, उनमें बाईस हजार वर्ष
१ प्रतिषु · माउअपुव्व ' इति पाठः।
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