Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
१९८ ] -छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ६, ५०. विसेसाहिया । बारसणं जीवसमासाणमाउअस्स हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । असण्णिपंचिंदियपज्जत्ताणमाउअस्स हिदिबंधहाणविसेसो असंखेज्जगुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो असंखेज्जगुणो। हिदिबंधहाणाणि एगवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधट्टाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगख्वाहियाणि । बादरेइंदियअपज्जत्ताणं णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो। हिदिबंधाणाणि एगवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो विसेसाहिओ । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधहाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधहाणाणि एगरूवाहियाणि । सुहुमेइंदियपज्जत्ताणं णामा-गोदाणं हिदिबंधहाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं टिदिबंधट्ठाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधट्ठाणाणि एगवाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधट्टाणविसेसो संखेज्जगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगरूवाहियाणि । बादरेइंदियपज्जत्ताणं णामा-गोदाणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो। हिदिबंधहाणाणि एगवाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधट्ठाण- . .
स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। असंक्षी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके आयुका स्थितिबन्धस्थानविशेष असंख्यातगुणा है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष असंख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । चार काँका स्थितिवन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकोंके नाम वगोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक है।चार कमौका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एकरूपसे विशेष अधिक हैं । मोहनीयका स्थितिवन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है । स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तकोंके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थान विशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चार कमौका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकोंके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । चार कर्मोंका स्थिति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org