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४, २, ६, ५०.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाणपरूवणा [१७१ विसेसो संखेजगुणो । आबाहाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । तेइंदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहाहाणाणि एगहवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाट्ठाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ । आबाहाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आवाहाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । चउरिंदियअपजत्तयस्स णामागोदाणमाबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि। चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ । आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेनगुणो। आबाहाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । तस्सेव पज्जत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाहाहाणविसेसो विसेसाहिओ। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाहाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । असण्णिपंचिंदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। गुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। श्रीन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम घ .. गोत्रका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चार कर्माका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चार कर्मीका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चतुरिन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चार कर्मोंका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । मोहनीयका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । चार काँका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । मोहनीयका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। असंक्षी पंचेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष
१ अ-आ-काप्रतिषु ' असण्णि-' इत्येतत्पदं नोपलभ्यते ।
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