Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१६६ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ६, ५.. मूलपयडिअप्पाबहुगं दुविहं सत्थाणं परत्थाणं चेदि । तत्थ सत्थाणे पयदं-सव्वत्थोवो सुहुमेइंदियअपजत्तयस्स णामा-गोदाणमाबाधाहाणविसेसो । आबाहाहाणाणि एगस्वेण विसेसाहियाणि । चदुण्णं कम्माणमाबाधाहाणविसेसो विसेसाहिओ । आबाधाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाधाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । आउअस्स जहणिया आबाहा असंखेजगुणा।आबाहाहाणविसेसो संखेजगुणो। आबाहाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया। उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया। मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया।
__ एवं सुहुमेइंदियपजत्त-बादरेइंदियअपजत्ताणं पि वत्तव्वं । बादरेइंदियपज्जत्तएसु सव्वत्योवो णामा-गोदाणमाबाधाहाणविसेसो । आबाधाहाणाणि एगरूवेण विसेसा हियाणि। चदुण्णं कम्माणमाबाधाहाणविसेसो विसेसाहिओ । आबाधाहाणाणि एगवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स आबाधाहाणविसेसो संखेजगुणो । आबाधाहाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । आउअस्स जहणिया आबाहा असंखेजगुणा । णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चदुण्णं कम्माणं जहणिया
मूलप्रकृति अल्पबहुत्व दो प्रकार है-स्वस्थान अल्पबहुत्व और परस्थान अल्पबहुत्व । उनमें यहां स्वस्थान अल्पबहुत्वका प्रकरण है-सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके नाम घ गोत्रका आवाधास्थानविशेष सबसे स्तोक है। आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । चार काँका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहवीयका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । आयु कर्मकी जघन्य आवाधा असंख्यातगुणी है । आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आबाधास्थान एक रूपसे विशेष हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चार कर्मोंकी जघन्य आबाबा विशेष अधिक है। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। मोहनीय कर्मकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है। उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है।
इसी प्रकार सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक और बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकके भी कहना चाहिये । बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकों में नाम व गोत्रका आवाधास्थानविशेष सबसे स्तोक है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। चार कमौका आवाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। मोहनीयका आवाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । आयुकी जघन्य आबाधा असंख्यातगुणी है। नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चार कमौकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उनकी उत्कृष्ट
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