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४, २, ६, ५०.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाणपरूवणा [१६१ चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। असण्णिपंचिंदियपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो। तस्सेव अपजत्तयस्से मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो -विसेसाहिओ। तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। तस्सेव पजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। समिपंचिंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो। तस्सेव पजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ द्विदिबंधो विसेसाहिओ। तस्सेव पज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ ट्रिदिबंधो संखेजगुणो। तस्सेव अपज्जत्तयस्स गामा-गोदाणं जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहण्णओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो । तस्सेव अपजत्तयस्स णामा-गोदाणं हिदिबंधहाणविसेसो संखेजगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधहाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । तस्सेव अपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स हिदिबंधहाणविसेसो संखेजगुणो। हिदिबंधट्टाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणं हिदिबंधहाणविसेसो संखेजगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगस्वेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। तस्सेव पजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधहाणविसेसो विसेसाहिओ। हिदिबंधचार कर्मोंका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। असंही पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके मोहनीयका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । संशी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है । उसीके पर्याप्तकके चार काँका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका जघन्य
संख्यातगुणा है। उसीके अपर्याप्तकके चार कमौका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है । उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उत्कष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष. अधिक हैं । उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके चार कर्मोंका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष
१ प्रतिषु 'पज्जत्तयस्स' इति पाठः। छ.११-२१
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