________________
१२६) छक्खंडागमे वैयणाखंड
( १, २, ६, १६. रूवाणं पमाणं उच्चदे- रूवाहियहेट्टिमविरलणमेत्तद्धाणं गंतूण जदि एगरूवपरिहाणी लन्मदि तो उवरिमविरलणम्मि किं लभामा त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए एगरूवस्स असंखेज्जदिमागो आगच्छदि । एदमुक्कस्ससंखेज्जम्मि सोहिदे एगरूवस्स असंखेज्जा भागा रूवूणुक्कस्ससंखेज्जं च भागहारो होदि । पुणो दुसमउत्तरं वडिदे संखेज्जभागवडिट्ठाणं होदि । एदस्स वि छेदभागहारो । तिसमउत्तरं वड्डिदे वि संखेज्जभागवडी चेव । एवं ताव छेदभागहारो होदृण गच्छदि जाव बादरेइंदियधुवहिदि उक्कस्ससंखेज्जेण खंडेदूण पुणो तत्थेगखंडं रूवूणुक्कस्ससंखेज्जेण खंडेदृण तत्थेगखंडं रूवूणं वडिदं ति । संपुणं वडिदे समभागहारो होदि । तं च कधं १ रूवणुक्कस्ससंखेज्जं विरलेदूण उवरिमेगरूवधरिदं समखंडं कादूण दिण्णे वड्डिपमाणं होदि । एदमुवरिमरूवधरिदेसु दादण समकरणे कीरमाणे स्वाहियहेट्टिमविरलगमेत्तद्धाणं गंतूण एगरूवपरिहाणी होदि त्ति रूवाहियहेट्टिमविरलणाए उवरिमविरलणाए ओवट्टिदाए एगरूवमागच्छदि । तम्मि उवरिमविरलणाए सोहिदे रूवूणुक्कस्ससंखेज्जं भागहारो होदि । पुणो एदेण
समकरण करते हुए हीन रूपोके प्रमाणको कहते हैं- एक अधिक नीचेकी विरलन राशि प्रमाण अध्वान जाकर यदि एक रूपकी हानि पायी जाती है तो ऊपरकी विरलन शिमें वह कितनी प्राप्त होगी, इस प्रकार फलगुणित इच्छा राशिमें प्रमाण राशिका भाग देनेपर एक रूपका असंख्यातवां भाग प्राप्त होता है। इसको उत्कृष्ट संख्यातमेंसे कम करनेपर शेष एक रूपका असंख्यात बहुभाग और एक कम उत्कृष्ट संख्यात भागहार होता है। आगे दो-दो समय बढ़नेपर संख्यातभागवृद्धिका स्थान होता है। इसका भी छेदभागहार है । तीन-तीन समय बढ़ने पर भी संख्यातभागवृद्धि ही होती है। इस प्रकार तय तक छेदभागहार होकर जाता है जब तक कि बादर एकेन्द्रियकी धुवस्थितिको उत्कृष्ट संख्यातसे स्खण्डित करके फिर उसमेंले एक खण्डको एक कम उत्कृष्ट संख्यातसे खण्डित करनेपर उसमें से एक कम एक खण्ड प्रमाण वृद्धि नहीं हो जाती। सम्पूर्ण खण्ड प्रमाण वृद्धि हो घुकनेपर समभागहार होता है।
शंका- वह कैसे?
समाधान- एक कम उत्कृष्ट संख्यातका विरलन कर उपरिम विरलनके एक रूपपर रखी हुई राशिको समखण्ड करके देनेपर वृद्धिका प्रमाण होता है। इसको उपरिम रूपोपर रखी हुई राशियोंके ऊपर देकर समकरण करते हुए एक अधिक नीषेकी विरलनराशि प्रमाण अध्वान जाकर चूंकि एक अंककी हानि होती है, मतः एक अधिक नीचेकी विरलन राशिका ऊपरकी विरलन राशिमें भाग देनेपर एक अंक आता है। उसको उपरिम विरलन राशिमेंसे कम करनेपर एक कम इसका संख्यात भागहार होता है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org