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१, २, ३, ५०.] यणमहाहियारे धेयणकालविहाणे सामित्तं
[१५१ द्विदिवंधट्ठाणविसेसो संखज्जगुणो । विदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ । तस्सव णामा-गोदाणं ट्ठिदिबंधट्ठाणविसेसो असंखेज्जगुणो । हिदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चदुण्णं कम्माणं हिदिबंधट्ठाणविसेसो विसेसाहिओ । ट्ठिदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । मोहणीयस्स हिदिबंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो । विदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । णामा-गोदाणं जहण्णओ द्विदिबंधो असंखेज्जगुणो । उक्कस्साहदिबंधो विससाहिओ। चदुण्णं कम्माणं जहण्णद्विदिबंधो विसेसाहिओ। उक्कस्सद्विदिबंधो विसेसाहिओ। मोहणीयस्स जहण्णओ द्विदिपंधो संखेज्जगुणो। उक्कस्सओ द्विदिबंधो विसेसाहिओ।
एवं सुहुमेइंदियपज्जत्तयस्स बादरेइंदियपज्जत्तापज्जत्ताणं च पत्तेयं पत्तेयं सत्थाणप्पाबहुगं वत्तव्वं । बेइंदियअपज्जत्तयस्स सव्वत्थोवो आउअस्स जहण्णओ हिदिबंधो। हिदि बंधट्ठाणविसेसो संखेज्जगुणो । द्विदिबंधट्ठाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । उक्कस्सओ हिदिबंधो विसेसाहिओ। णामा-गोदाणं द्विदिबंधट्ठाणविसेसो असंखेज्जगुणो । विदिबंध. डाणाणि एगरूवेण विसेसाहियाणि । चदुणं कम्माणं विदिबंधट्ठाणविसेसो विसेसाहिओ ।
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उससे स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उनसे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उससे उसीके नाम व गोत्र कर्मका स्थितिबन्धस्थानविशेष असंख्यातगुणा है। उससे स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उनसे चार कर्मोंका स्थिति रन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है। उसले स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं । उससे मोहनीपका स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है। उसले स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उनसे नाम व गोत्र कर्मका जघन्य स्थितिबन्ध असंख्यातगुणा है। उससे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उससे चार कर्मोंका जघन्य स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उससे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। उससे मोहनीयका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है। उससे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है।
___इसी प्रकार सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्तक और बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तक व अपर्याप्तकमैसे प्रत्येकके स्वस्थान अल्पबहुत्व कहना चाहिये। द्वीन्द्रिय अपर्याप्तकके आयु कर्मका जघन्य स्थितिबन्ध सबसे स्तोक है । उससे स्थितिबन्धस्थानविशेष संख्यातगुणा है । उससे स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उनसे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध विशेष अधिक है । नाम व गोत्र कर्मका स्थितिबन्धस्थानविशेष असंख्यातगुणा है । उससे स्थितिबन्धस्थान एक रूपसे विशेष अधिक हैं। उनसे चार कर्मोंका स्थितिबन्धस्थानविशेष विशेष अधिक है । उससे स्थितिबन्धस्थान एक
१ अप्रतौ ' एगमागोदाणं' इति पाठः । ..
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