Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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१०.1
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छक्खंडागमे वैयणाखंड [१, २, ६, . एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्तफालीओ जाव पदंति ताव पुणरुत्ताणि चेव द्वाणाणि उप्पज्जति । पुणो चरिमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तहाणं होदि । कुदो ? चरिमफालीए अवणिदाए पुव्विल्लट्ठिदिसंतकम्मेण सरिसत्तमुवगयस्स सेसहिदिसंतकम्मस्स उक्कीरणद्धाचरिमसमयगलणेण समऊणत्तदंसणादो । एवमेदेण कमेण हिदिकंदयमेत्ताणि समऊणुक्कीरणद्धाए अहियाणि अपुणरुत्तहिदिसत हाणाणि उप्पाइय पुणो पच्छा पुचिल्लट्ठविदजीवादो अपुणरुत्तट्ठाणुप्पत्ती वत्तव्वा । तं जहा - तेण पुव्वणिरुद्धजीवेण चरिमफालीए अवणिदाए चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । कुदो ? चरिमफालीए पदिदाए पुन्विल्लडिदिसंतकम्मेण सरिसत्तमुवगयस्स हिदिसंतकम्मस्स अधद्विदिगलणेण समऊणत्तदसणादो । एवं बिदियपरिवाडी गदा ।
संपहि तदियपरिवाडिं वत्तइस्सामा । तं जहा- एदेसु स्वाहियद्विदिकंदयमेत्तजीवेसु सवजहण्णहिदिसंतकम्मिएण तदियट्टिदिकंदयस्स पढमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए पढमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि, अधढिदिगलणेण पुव्विल्लट्ठिदिं पडुच्च समऊणत्तदसणादो । चरिमफालिं मोत्तूण सेसफालीहिंतो णापुणरुत्तट्ठाणं' उप्पज्जदि,
किये जाने पर उत्कीरणकालका ] तृतीय समय गलता है। यह भी पुनरुक्त स्थान होता है। इस प्रकार एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण फालियां जब तक पतित हो हैं तब तक पुनरुक्त स्थान ही उत्पन्न होते हैं । पश्चात् अन्तिम फालिके अलग किये जानेपर उत्कीरणकालका अन्तिम समय गलता है। यह अपुनरुक्त स्थान होता है, क्योंकि, अन्तिम फालिके विघटित होनेपर पूर्व स्थितिसत्कर्मसे समानताको प्राप्त हुआ शेष स्थितिसत्कर्म उत्कीरणकाल सम्बन्धी अन्तिम समयके गलनेसे एक समय कम देखा जाता है। इस प्रकार इस क्रमसे स्थितिकाण्डक प्रमाण व एक समय कम उत्कीरणकालसे अधिक अपुनरुक्त स्थितिसत्त्वस्थानोंको उत्पन्न कराकर फिर पश्चात् पहिले स्थापित जीवकी अपेक्षा अपुनरुक्त स्थानोंकी उत्पत्ति कही जाती है। यथाउक्त विवक्षित पूर्व जीवके द्वारा अन्तिम फालिके विघटित किये जाने पर अन्तिम समय गलता है। यह अपुनरुक्त स्थान है, क्योंकि, अन्तिम फालिके विघटित होनेपर पहिलेके स्थितिसत्कर्मसे समानताको प्राप्त हुआ स्थितिसत्कर्म अधःस्थितिके गलनेसे एक समय देखा जाता है । इस प्रकार द्वितीय परिपाटी समाप्त हुई।
अब ततीय परिपाटीको कहते हैं। यथा-इन एक अधिक स्थितिकाण्डक प्रमाण जीवोंमेंसे सर्वजघन्यस्थितिसत्कर्मिक जीवके द्वारा तृतीय स्थितिकाण्डककी प्रथम फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका प्रथम समय गलता है। यह भपुनरुक्त स्थान है, क्योंकि, अधःस्थितिक गलनेसे पूर्वोक्त स्थितिकी अपेक्षा यह स्थिति एक समय कम देखी जाती है । अन्तिम फालिको छोड़ शेष फालियोंसे अपुनरुक्त
१ कापतौ सेसफालीहितो एगं पुणस्तद्वाणं', तापतौ ' सेसफालीहितो ण पुणरतवाणं ' इति पाठः ।
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