Book Title: Shatkhandagama Pustak 11
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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___ छक्खंडागमे वेयणाखंडं [१, २, ५, २१. ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वड्ढावेदव्वा जाव तेइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा ति । तदो एसा ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वड्ढावेदव्वा जाव चीरंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । तदो इमा ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वड्ढावेदव्या जाव बीइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । पुणो एसा ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वड्ढावेदव्वा जाव बादरवणप्फदिकाइयपत्तयसरीरणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । पुणो इमा ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वड्ढावेदव्वा जाव पंचिंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । पुणो वि एसा ओगाहणा पदेसुत्तररादिकमेण तीहि वड्डीहि वडावेदव्वा जाव तेइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । पुणो एसा ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वडावेदव्वा जाव चरिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । पुणो एसा ओगाहणा पदेसुत्तरादिकमेण तीहि वड्डीहि वडावेदव्वा जाव बेइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कसियाए ओगाहणाए सरिसी जादा त्ति । तदो इमा ओगाहणा पदे
एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा त्रीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये । पश्चात् इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा चतुरिन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये। तत्पश्चात् इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रममे तीन वृद्धियों द्वारा द्वीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये । पश्चात् इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये । फिर इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा पंचेन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये । फिर भी इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा श्रीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये। पश्चात् इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा चतुरिन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये । फिर इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों द्वारा द्वीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाके सदृश हो जाने तक बढ़ाना चाहिये। फिर इस अवगाहनाको एक प्रदेश अधिक इत्यादि क्रमसे तीन वृद्धियों
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