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बीकानेर के व्याख्यान]
तुम्हारे भूखे रहने से गर्भ को भी भूखा रहना होगा और यह अत्यन्त ही अनुचित होगा।
गर्भ की याद आते ही अचला महारानी ने कहा-नाथ ! यब मैं महामारी के मिटाने का उपाय समझ गई । यह महामारी उषा के पूर्व का अंधकार है । मैं इसे मिटाने का उपाय करती हूँ।
.महारानी अचला महल के उपर चढ़ गई और अमृतदृष्टि से चारों ओर देखकर कहने लगी-प्रभो ! यदि यह महामारी शान्त न हुई तो पति जीवित नहीं रहेंगे । पति के जीवित न रहने पर मैं भी जीविन नहीं रह सकूँगी और इस प्रकार यह गर्भ भी नष्ट हो जायगा । इसलिए हे महामारी | मेरे पति के लिए, मेरे लिए और इस गर्भ के लिए इस राज्य को शीघ्र छोड़ दे।
उषा के आगे अंधकार कैसे ठहर सकता है ? महारानी के चारों ओर देखते ही महामारी हट गई । उसके बाद महाराज अश्वसेन को सूचना मिली कि राज्य में शान्ति हो गई है। महाराज आश्चर्यचकित रह गए। वे महारानी के महल में आये। मालूम हुआ कि वे महल के ऊपर हैं। महाराज वहीं पहुँचे । उन्हेंोंने देखा कि अचला महारानी अचल ध्यान में खड़ी हैं । चारों ओर अपनी दिव्य दृष्टि फिराती हैं, किन्तु मन को नहीं फिरने देती।
महाराज अश्वसेन ने थोड़ी देर यह दृश्य देखा । उसके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com