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[जवाहर-किरणावली
जो भक्तिमार्ग का अवलम्बन लेकर अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहते हैं, वे अनायास ही ऐसा कर सकते है । मेरी कामना है कि आप विवेक के साथ भक्तिरस का पान करें और अपना कल्याण-साधनाकरें। तथाऽस्तु ।
बीकानेर, १.-८-३०.
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