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बीकानेर के व्याख्यान ]
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धन
एक सुन्दरी कुंवारी कन्या को टाल्सटाय ने धन का लोभ देकर भ्रष्ट किया था। वह उस समय युवक तो था ही, भी उसके पास चालीस लाख रूबेल का था और साथ ही सत्ता भी प्राप्त थी । एक रूबेल करीब डेढ़ रुपये के बराबर माना जाता है । टाल्सटाय राजघराने में जन्मा था, अतएव अधिकार भी उसे प्राप्त था ।
यौवनं धनसम्पत्तिः प्रभुत्वमविवेकिता । एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्टयम् ?
जवानी, धन, अधिकार और अविवेक में से कोई एक भी अनर्थ का कारण हो जाता है। जहाँ चारों मिल जाएँ वहाँ तो कहना ही क्या है ? यह चाण्डाल चौकड़ी सभी अनर्थों का कारण बन जाती है । प्रथम तो युवावस्था को ही शान्तिपूर्वक विताना कठिन है । फिर ऊपर से धन-सम्पत्ति और अधिकार मिल जाय तो उसकी अनर्थकरी शक्ति वैसे ही बढ़ जाती है, जैसे तीन इकाइयाँ मिल जाने पर एक सौ ग्यारह हो जाते हैं। इन तीनों के होने पर भी अगर विवेक हुआ तो वह इन्हें ठीक रास्ते पर लगा देता है। अगर अविवेक हुआ तो मत पूछिये बात ! फिर तो अनर्थ की सीमा नहीं रहती ।
टाल्सटाय को तीनों शक्तियाँ प्राप्त थीं और ऊपर से अविवेत्र था । इस कारण उसने कुंवारी कन्या को भ्रष्ट कर दिया । कन्या गर्भवती हो गई । घर वालों ने सगर्भा समझ कर उसे
घर से निकाल दिया । कुछ दिन तक तो वह इधर-उधर भटShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com