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[ जवाहर-किरणावली
दिखाई देता ही है। वैज्ञानिकों ने सर्च लाइट आदि नाना प्रकार के प्रकाशों का आविष्कार किया है लेकिन चन्द्रमा की समता करने वाला एक भी प्रकाश वे नहीं बना सके हैं । इस पर से हे मनुष्य ! तू अपनी अपूर्णता और अशक्ति का विचार कर। अपनी शक्ति पर गर्व मत कर । सच तो यह है कि जहाँ सूर्य और चन्द्रमा विद्यमान हैं वहाँ दूसरे प्रकाश की आवश्यकता ही नहीं है। कोई कितना ही प्रयत्न करे लेकिन चन्द्रमा और सूर्य के समान प्रकाश नहीं बन सकता । यह विचार कर खटपट में पड़ने की आवश्यकता नहीं थी लेकिन मनुष्य गज़ब का प्राणी है ! उसमें ईश्वरीय शक्ति विद्यमान है। अतएव वह प्रकृति से भी लड़ाई कर रहा है। मनुष्य प्रकृति से भी लड़ाई कर रहा है। मनुष्य प्रकृति पर विजय पाना चाहता है और प्रकृति को नीचा दिखाना चाहता है।
प्रकृति से लड़ाई करने वालों को सोचना चाहिए कि मैंने विज्ञान के द्वारा जो वस्तुएँ बनाई हैं, उनसे पहले की वस्तुओं का विकाश है या विनाश हुआ है ? कल्पना कीजिए, किसी के घर में बिजली का सुन्दर प्रकाश हो परन्तु घर में कोई चीमार पड़ा हो। एक ओर वीमारी बढ़ती जाय और दूसरी ओर विजली का प्रकाश बढ़ता जाय । ऐसी स्थिति में प्रकाश का बढ़ना किस काम का ? अगर विजली का प्रकाश न हो और सूर्य-चन्द्र की किरणों से ही शान्ति पहुँचती हो तो समझना
चाहिए कि हमें किसी की ओर से यह संकेत मिल रहा है कि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com