________________
३८४ ]
[ जवाहर - किरणावली
सकता और न उनसे किसी को वंचित ही कर सकता है । अप्राकृतिक वस्तुओं का स्वामी बनकर उन पर भले ही वह टैक्स लगा दे, पर प्राकृतिक वस्तुओं पर, जो जीवन निर्वाह के लिए अनिवार्य रूप से उपयोगी हैं, टैक्स लगाना उचित नहीं और न पूरी तरह शक्य ही है। बिजली का टैक्स न चुकाने पर बिजली रोकी जा सकती है, क्योंकि उसकी चाबी राजा के हाथ में है । अगर वह सूर्य के प्रकाश पर या पवन पर कर लगा दे और प्रजा कर देना अस्वीकार कर दे तो राजा सूर्य या पवन को रोक देने में समर्थ नहीं है । इनकी चाबी उसके हाथ में नहीं है । यह बात दूसरी है कि प्रजा अपनी कमजोरी के कारण इन वस्तुओं का भी कर देती रहे ! ऐसी निर्वीर्य प्रजा तो शायद श्वास लेने का भी कर देने को तैयार हो जाएगी ।
मेरे कहने का आशय यह है कि प्राकृतिक पदार्थों में जैसा सौन्दर्य होता है और वे जैसे लाभदायक होते हैं वैसे कृत्रिम पदार्थ नहीं हो सकते । सूर्य और चन्द्रमा निसर्ग के सर्वोत्तम उपहारों में है । अतएव आचार्य मानतुंग ने चन्द्रमा के साथ भगवान् के मुख की तुलना की है। आचार्य का कथन है कि परमात्मा के मुख की समानता चन्द्रमा मी नहीं कर सकता । चन्द्रमा, सूर्य का उदय होने पर पीले पत्ते के समान निस्तेज और फीका पड़ जाता है । अतएव उससे भगवान् के मुख की उपमा कैसे दी जाय ! जब प्रकृति - रानी का सर्वोतम शृंगार चन्द्रमा श्री भगवान् के मुख के सामने नगण्य
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com