Book Title: Jawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Jawahar Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 400
________________ बीकानेर के व्याख्यान ] [३६१ अपने से विरुद्ध मार्ग पर चलते देखो, कोई धर्म के मार्ग में काँटे विखेरता दिखाई दे तो भी उस पर समभाव रखना चाहिए। इन चार भावनाओं का सेवन करने वाला भगवान् ऋषभदेव के पथ पर अग्रसर हो सकता है और अपने जीवन को धन्य बना सकता है। भगवान् की स्तुति करने के साथ उनके मार्ग पर चलने वाला ही कल्याण का भागी होता है। मंगलं भगवान् वीरो मंगलं गौतम गणी। मंगलं स्थूलिभद्राचा जैनधर्मो ऽस्तु मंगलम् ॥ समाप्त Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 398 399 400 401 402