Book Title: Jawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 363
________________ ३५४ ] [ जवाहर-किरणावली दिया तो आपकी क्या हानि हो गई ? आपके हिस्से काप्रकाश तो सूर्य ने दूसरों को नहीं दिया है ! सूर्य ने समान रूप से सब को प्रकाश दिया है, यह उसकी महिमा है या बुराई है ? 'महिमा है !' तो फिर सूर्य का प्रकाश पाकर आप प्रसन्नता का अनुभव क्यों नहीं करते ? आपको प्रकृति पर ध्यान देकर विचार करना चाहिए कि मुझे सूर्य, चन्द्र, पृथ्वी आदि से आनन्द मिला है तो मैं इनका उपकार क्यों न मानूँ ? लेकिन हृदय की क्षुद्रता आपकी प्रसन्नता को उत्पन्न ही नहीं होने देती । इसीलिए प्राचार्य कहते हैं कि आप भुवनमूषण के गुण जानोगे तो न आत्मा में द्वेष उत्पन्न होगा, न गर्व होगा और न दीनता ही आएगी। आपको संतोष प्राप्त होगा। परमात्मा की स्तुति से दर्प और दीनता दोनों दूर हो जाएँगे। ___ अपने मनोभावों को आप पर प्रकट करने के लिए मैं अधिक से अधिक सरल पद्धति से काम लेता हूँ। आप मेरे भाव को समझ गये होंगे। फिर भी एक उदाहरण और लीजिये। आपके ऊपर पंखा किया जाय या चँवर ढोरा जाय तो आपको आनन्द होता है, लेकिन प्रकृति ने सभी को समान रूप से पंखा कर दिया तो आपको आनन्द क्यों नहीं होता? क्या सब पर पंखा होने से आपकी कुछ हानि हो गई ? फिर आपका प्रानन्द क्यों चला गया ? मगर आप सोचते हैंShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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