Book Title: Jawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 353
________________ ३४४] [ जवाहर-किरणावली का मर्म समझ लेगा उस दिन संसार स्वर्ग बन जायगा । राम अगर राम सरीखे ही न होकर जैसा आप सोचते हैं वैसे हो तो उनके राज्य को छीनने की किसी में शक्ति नहीं थी। कैकेयी को छोड़कर सभी उनके पक्ष में थे। राम कह सकते थे–'तुम स्त्री हो। घर का काम संभालो। राज्य हमारा है और हमारा ही रहेगा।' पर उन्होंने ऐसा नहीं कहा। राम अगर भरत के लिए अपने अधिकार का राज्य न छोड़ते और अयोध्या में ही मौज उड़ाते रहते तो आज उनका नाम कौन लेता? मगर उन्होंने कैकेयी के हृदय को पहचाना और उसमें पैदा होने वाली दुई को भी समझ लिया। वह कहने लगे-जिस घर में मैं पैदा हुआ हूँ, उस घर में माता के हृदय में इस प्रकार के विचार उत्पन्न होना मेरा दुर्भाग्य है। माता की यह दुर्भावना मेरी तपस्या से ही दूर होगी । यहाँ के राज्य का कार्य तो भरत संभाल ही लेगा, मगर संसार की शुद्धि का काम मुझे ही करना होगा। अगर मैंने सादगी धारण न की, गरीबों के योग्य वस्त्र न पहनें और गरीबों जैसा भोजन न किया तथा राजमहल को न त्यागा तो मेरे द्वारा गरीबों का कल्याण न होगा। इन महान् आदर्शों पर ही टाल्सटाय आदि के विचार बने हैं । लेकिन हमारा देश कितनी पतन-अवस्था में पहुँच गया है कि इन कथाओं को ही असंभव मानता है ! राम को अगर रावण का पराजय ही करना अभीष्ट होना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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