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- [ जवाहर-किरणावली
कही गई है ? इसमें माधव से मोहपाश तोड़ने के लिए कहा गया है। इसलिए जिसने अनन्तदर्शन, अनन्तज्ञाम अनन्त चारित्र और अनन्त सुख पा लिए है वही वास्तव में माधव है। जो स्वयं स्त्री का स्वामी होगा वही मोहपाश का नाश कैसे कर सकता है ? जिसने अपने मोह के समस्त पाशों को छिन्नभिन्न करके हटा दिया है, जो पूर्वोक्त अनन्त चतुष्टय रूपी अलौकिक लक्ष्मी का स्वामी बन गया है, वही सच्चामाधव है। ___ इस भजन में कहा गया है कि बाहर के करोड़ों उपाय करने पर भी मोह की गांठ नहीं खुली है। यथाप्रवृत्तिकरण उस गांठ के पास अनन्त बार जा आया, फिर भी गांठ म न खुली । और उस गांठ के खुले विना मोक्ष मिलना तो दूर रहा, मिथ्यात्व भी नहीं हटता।
कोई साधु हो गया है, इसका यह अर्थ नहीं कि उसने माह की ग्रंथि तोड़ डाली है ! मोह ग्रंथि के टूट जाने की पहिचान है-अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न न होना और निन्दा सुनकर दुखी न होना । इस कसौटी पर सभी जिज्ञासु अपनी-अपनी अन्तरात्मा को कस सकते हैं। प्रात्मा जब कोयल की भाँति निरपेक्ष बन जाय, विना किसी आशा-अभिलाषा के परमात्मा के स्वरूप में तल्लीन रहने लगे और मानसन्मान की कामना न करे, तभी समझना चाहिए कि मोह की गाँठ टूट गई है। अगर आप समाज में प्रतिष्ठा पाने के उद्देश्य से सामायिक करते हैं, कीर्ति के लिए उपवास करते
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