________________
३०६ ]
[ जवाहर - किरणावली
भव में वे ऋषभदेव हुए। जो भव्य पुरुष उन कथाओं के साथ अपने जीवन की तुलना करेगा, उनके आदर्श का अनुसरण करेगा, वह अवश्य ही संसार के जन्म-मरण रूप दुःखों से मुक्त होगा ।
एक पूर्वभव में भगवान् ऋषभदेव गाथापति थे । उस समय उनका जीवन ऐसा दिव्य था कि श्रीमन्त होते हुए भी वे गरीबों से भेदभाव नहीं रखते थे ।
श्राज तो बढ़िया खाने और बढ़िया पहनने में ही श्रीमंताई समझी जाती है, लेकिन इस बढ़िया खाने-पहनने के कारण श्रीमन्तों और गरीबों के बीच एक जबर्दस्त दीवार खड़ी है। गई है । यही कारण है कि आज वर्गयुद्ध हो रहा है और समाज पंगु बन रहा है ।
मित्रो ! सत्य की खोज करो और सत्य को ही अपनाओ । कथा को सुनकर यह देखो कि मुझमें सत्य कितना है ? कथा सुनने का यही प्रयोजन है ।
मैं पूछता हूँ - जो पुरुष बढ़िया कपड़े पहनेगा, वह गरीबों के साथ रहेगा ?
•
'नहीं !'
तो सोचिए कि उसकी श्रीमंताई गरीबों का साथ देने के लिए है या गरीबों से दूर भागने के लिए है ? बढ़िया चटकीले कपड़े पहन लेने पर गरीबों की तो मानों छूत लगती है ! मगर
स्मरण रक्खो, सम्पत्ति होने पर जो गरीबों से दूर भागता है
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com