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बीकानेर के व्याख्यान ]
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पदार्थ में आपकी शक्ति ने काम नहीं किया होगा वह आपको मिल ही नहीं सकता। मगर देखना तो यह चाहिए कि वह किस प्रकार अपना काम करती है । इन उदाहरणों के श्राधार से अदृश्य शक्ति को पहचानने का प्रयत्न करो और कहोअनन्त जिनेश्वर नित नमू, श्रद्भुत ज्योति श्रलेख !
ना कहिये ना देखिए,
जा
के रूप न रेख ॥
मैं अनन्तनाथ या आदिनाथ भगवान् की जिस शक्ति के विषय में कह रहा हूँ, अह अनन्त है । आपकी शक्ति का अन्त है, मगर उस शक्ति का अन्त नहीं है । वह काल से अनन्त है और परिमाण से भी अनन्त है। ऐसी शक्ति कितनी अद्भुत होगी, ज़रा इस बात पर विचार कीजिए । अपने मन को उस शक्ति की ओर खींच ले जाइए ।
उस शक्ति की ओर मन की गति किस प्रकार हो सकती है ? इस प्रश्न का उत्तर शब्दों द्वारा देना कठिन नहीं है, यद्यपि उन शब्दों के अनुसार साधना करने में कठिनाई हो सकती है । पर वह कठिनाई आरंभ में ही मालूम होगी, आगे नहीं । आलस्य से यह काम न होगा । वह शक्ति तुम्हारे उद्योग और तुम्हारी निष्ठा में है। शुद्ध निष्ठा रखकर उद्योग में लगने से ही उस शक्ति के दर्शन हो सकते हैं ।
भारत में अंगरेजी राज्य के संस्थापक लार्ड क्लाइव के
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