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बीकानेर के व्याख्यान]
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वह परमात्मशक्ति बड़ी अद्भुत है। न आँख उसे देख सकती है, न जिह्वा उसे कह सकती है। वहाँ किसी इन्द्रिय की पहुँच नहीं हो पाती।
प्रश्न हो सकता है जब वह शक्ति इतनी अगम अगोचर है तो हमें उसका पता किस प्रकार लग सकता है ? हम उसे कैसे ध्यान में लावें?
आज संयोगवश शरपूर्णिमा है ? ग्रंथों में आज की पूर्णिमा की बड़ी महिमा गाई गई है। ग्रंथों के कथनानुसार आज वनस्पति में रस आता है। आज आपके अन्तःकरण में भी ऐसा रस उत्पन्न होना चाहिए, जिससे लोहा भी कंचन बन जाता है। इस रसायन को बनाने के लिए मेरी बात पर ध्यान दो। अगर आपने ध्यान दिया तो रसायन अवश्य बनेगी।
जो शक्ति आँखों से देखी नहीं जा सकती और जिसका वाणी द्वारा वर्णन नहीं हो सकता, उस पर विश्वास हुआ, वह शक्ति प्रापके ध्यान में आ गई तो आपके भीतर एक अभूतपूर्व और अद्भुत शक्ति पैदा होगी । वही शक्ति तो रसायन है ! उसे देख कर कह नहीं सकते फिर भी उसकी सत्ता अखंड और अबाधित है। दृश्य शक्ति में अदृश्य शक्ति काम करती है । उस अदृश्य शक्ति को पहिचान लो तो बस रसायन बन गई । लेकिन उस शक्ति की ओर आपका ध्यान नहीं
जाना । श्रापकी प्रात्मा तो इन्द्रियों का खेल देखने में ही लगी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com