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[ जवाहर - किरणावली
किये बिना सिद्धि प्राप्त नहीं होती, इसलिए भगवान् महावीर ने जो कुछ कहा है, वह सब करके दिखाया भी है।
भगवान् महावीर ने प्रभावशाली तप किया, उसी का यह परिणाम है कि आज भी साधु साध्वियाँ श्रावक श्राविकाएँ तप करते हैं । आज जैन महात्माओं में त्याग - वैराग्य की जो शक्ति है, वह सब भगवान् महावीर के तप का ही प्रताप है ।
भगवान् महावीर से अतुल तीर्थ निपजे हैं । उन धीर महाप्रभु की तपस्या रोमांचकारिणी और बड़ी प्रभावशालिनी थी ।
श्री जिनराय का ध्यान लगावे,
ता घर आनन्द-मङ्गल छावे । सिद्धारथ राय के नन्द श्रनोपम, रानी त्रिशला देवी कूँख जो श्रावे । चैत सुदी तेरस की रजनी, जन्म भयो प्रभु सब सुख पावे ||श्री० ||
भगवतीसूत्र में कहा है
तद्दारूवाणं समणाणं निग्गंथाणं ।
यही पाठ भगवान् के विषय में भी आया है और कहा गया है
इहलोगहियाए पर लोग हियाए ।
तथारूप के भ्रमण निर्ग्रन्थ या अरिहन्त भगवान् के नामगोत्र का स्मरण करना - भक्ति करना - इस लोक और परShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com