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बीकानेर के व्याख्यान ]
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मित्रो ! समय को देखो। युगंधर्म को पहचानो। अपनी बुद्धि को विवेक के मार्ग पर चलायो । ज्ञान के द्वारा निर्धारित किये हुए काम को करने वाले ही विजयी हो सकते हैं । ज्ञान से निर्णय किये बिना ही काम करने वाले बिजय नहीं प्राप्त कर सकते । अतएव ज्ञान की बड़ी महिमा है। ज्ञान के बाद ही सम्यक क्रिया पाती है। शास्त्रकारों ने ज्ञान को पहले स्थान दिया है और उसके बाद क्रिया को। आप लोग आज ज्ञान को भूल रहे हैं, ज्ञान की कोई आवश्यकता नहीं समझते और कद्र भी नहीं करते, लेकिन ज्ञान से उत्तम कोई वस्तु नहीं है। गीता में भी कहा है
न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते । इस संसार में ज्ञान के समान और कोई पवित्र वस्तु नहीं है। ज्ञान सर्वोत्कृष्ट वस्तु है और अखिल कर्म की समाप्ति शुद्ध ज्ञान में ही हो जाती है।
जैनसिद्धान्त के अनुसार विचार किया जाय तो इस बात में और ही तत्त्व निकलता है। स्याद्वाद सिद्धान्त का उपयोग किये विना किसी भी बात का मर्म पूरी तरह समझ में नहीं श्रा सकता। जैनसिद्धान्त के अनुसार तेरहवें गुणस्थान को छोड़कर चौदहवें गुणस्थान में जाने पर क्रिया का नाश हो जाता है.। उस समय क्रिया नहीं रहती। साथ जाने वाली चीज़ शाम के सिवाय और नहीं है। भगवती सूत्र में एक प्रश्नोत्तर पाता है। गौतम स्वामी ने भगवान से प्रश्न कियाShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com