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आत्मा:- दुधारी तलवार
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जिन्होंने वस्तुतत्त्व का यथार्थ बोध प्राप्त नहीं किया है और जो बहिर्दृष्टि बने हुए हैं, वे अपने सुख-दुःख का कारण सही रूप में नहीं समझ पाते । वे निमित्त कारण को ही देखते हैं और उपादान कारण का विचार ही नहीं करते। मिर्च के तीखेपन को और मिश्री की मिठास को वे जानते हैं, मगर उन्हें यह मालूम नहीं होता कि उस तीखेपन का या मिठास का अनुभव होता किसे है ? अगर नीम में ही कटुकता है और हमारी संवेदना कोई काम नहीं करती तो ऊँट का मीठा लगने वाला नीम हमें कटुक क्यों प्रतीत होता है ? क्या नीम ऊँट के लिए और मनुष्य के लिए अपना स्वाद बदल लेता है ? नहीं | नीम अपना स्वभाव नहीं बदलता । लेकिन जीव की संवेदना शक्ति ही नाना रूप धारण करके वस्तु को नाना रूप में ग्रहण करती है । दही किसी को रुचिकर और किसी के रुचिकर क्यों प्रतीत होता है ? आत्मा की संवेदना शक्ति का
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