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बीकानेर के व्याख्यान ]
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मित्र बनाये। ___समय ने पलटाखाया । राजा, प्रधान पर कुपित हो गया। कुछ चुगलखोरों ने राजा के कान भर दिये कि प्रधान ने अपना घर भर लिया है, राज्य को अमुक हानि पहुँचाई है, यह गया है, वह किया है, आदि आदि । राजा कान के कच्चे होते हैं । रसने एक दिन पुलिस को हुक्म दे दिया कि प्रधान के घर पहरा लगा दो और प्रातःकाल होते ही उसे दरबार में हाजिर करो।
प्रारंभ में राज्यव्यवस्था प्रजा की रक्षा के उद्देश्य से की गई थी। लोगों ने अपनी रक्षा के लोभ से राजा की शरण ली थी। मगर धीरे-धीरे राजा लोग स्वार्थी बन गये। पहले राजा और प्रजा के स्वार्थों में विरोध नहीं था। राजाओं का हित प्रजा का और प्रजा का हित राजा का हित था। मगर राजाओं की विलासिता और स्वार्थभावना ने प्रवेश किया । तब प्रजा के हित का घात करके भी राजा अपना स्वार्थ सिद्ध करने लगे। तभी से राजा और प्रजा के बीच संघर्ष का सूत्रपात हुआ। आज वह संघर्ष अपनी चरम सीमा को पहुँच गया है और राजा के हाथों से शासन-सूत्र हट रहा है। राजतंत्र मरणासन्न हो रहा है और प्रजातंत्र का उदय हो रहा है।
चुगलखोरों ने झूठे-झूठे गवाह पेश करके सिद्ध कर दिया कि प्रधान दुष्ट है । राजा ने प्रधान को गिरफ्तार करने की आशा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com