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[ जवाहर-किरणावली
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अगर आगने इस तरफ सावधानी रक्खी तो थोड़े ही दिनों में आप देखेंगे कि आपका कितना विकास होता है ! राते रोज विचारो आज कमाया शु अहीं रे ।
सूता मन महीं रे ॥ राते० ।। खावा पीवा प्रभुए दीधु',
ते माठे तें शु शु कीधु; ए खातो सरभर कीधो छे के नहीं रे ।। राते० ॥
पाप रूपि सों करज थयो छे,
ते साटे शु पुण्य कर्यो छे ? बधू घट के सुधार्या शुं तो महीं रे ।। राते० ॥ गुजर ती कवि कहता है--आप प्रतिदिन रोजनामचा लिखते हैं । जमा-खर्च, पोते बाकी, लेना देना और जमा
पूँजी आदि देखते हैं। संसार में कहावत है कि जिसका हिसाब बराबर हो, उसे कभी हानि नहीं उठानी पड़ती। जो
आय-व्यय का हिसाब नहीं रखता, उसे आय कम और व्यय ज्यादा हो तो उसकी दुकान कितने दिन चलेगी?
मित्रो ! आप व्यापारी हैं और आय-व्यय के हिसाब के महत्त्व को भलीभाँति समझाते हैं। आय रुपये-पैसे का . हिसाब रखते भी हैं मगर संसार से आगे की भी बात कभी सोचते हैं ? उसका हिसाब रखते हैं ? अनन्त पुण्य की पूँजी लगाकर आपने यह मानव भव पाया है और दूसरी सामग्री पाई है। अब इस सामग्री से आप क्या कमाई कर रहे हैं ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com