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बीकानेर के व्याख्यान
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आँखें लाल तो कर ही लेते हैं। मगर इसके नेत्रों में जरा भी विकार नहीं दिखाई देता। चेहरा ज्यों का त्यों प्रसन्न बना रहता है। इसे मेरी परवाह नहीं है, फिर भी इतना शांत रहता है । यह मनुष्य कुछ निराला है। ____दो-तीन दिन बाद, आधी रात के समय, मेहमान कृलांबाई के कमरे के पास गया और उसे आवाज़ दी। फूलांबाई ने पूछा-कौन है ? उसने अपना नाम बता दिया। आधी रात के समय आने के लिए फूलांबाई उसे धिक्कारने लगी। तब उसने कहा-मैं किवाड़ खोलने के लिए नहीं कहता। अापके हिताहित से सम्बन्ध रखने वाली बात सुनाने आया हूँ। न सुनना चाहो तो मैं जाता हूँ। सुनना हो तो किवाड़ की आड़ में से सुन लो ।
हिताहित की बात सुनने के लिए फूलांबाई किवाड़ के पास खड़ी हो गई । उसने कहा-क्या कहना है, कह डालो। ___ मेहमान-कहूँ या न कहूँ, इसी दुविधा में पड़ा हूँ। कुछ निर्णय नहीं कर पाया हूँ।
फुलांवाई-जो कहना चाहते हो कह डालो। विचारने की बात ही क्या है ? डरो मत ।
मेहमान-आपका भी प्राग्रह है तो कह देता हूँ। अभी मैं सो रहा था । स्वप्न में ठाकुरजी ने दर्शन दिये थे। ___फूलां-ठाकुरजी ! तुम्हारे भाग्य बड़े हैं जो ठाकुरजी ने दर्शन दिये ! उन्होंने तुमसे क्या कहा है ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com