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बीकानेर के व्याख्यान]
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होते हैं। फिर मुझ से क्या अपराध हुआ है जो ठाकुरजी जाने की सोच रहे हैं ?
मेहमान-ठाकुरजी ने मुझे एक बात कही है और उसका उत्तर तुम से माँगने की भी आज्ञा दी है। उन्होंने पुछवाया हैइस बाई के एक सुकुमार लड़का हो । कोई मनुष्य उस लड़के को मारे या अपमान करे। फिर उन्हीं हाथों से एक थाल में पकवान भर कर वह आदमी फलांबाई को देने आवे तो बाई लेगी या नहीं? ___फूला-जो मेरे बेटे को दुःख देगा, उसके पकवान लेना तो दूर रहा. मैं उसका मुँह भी नहीं देखना चाहूँगी। ___ मेहमान तुम्हारी तरफ से यही उत्तर मैंने ठाकुरजी को दिया था। परन्तु ठाकुरजी कहने लगे-उस बाई के तो एक ही बेटा होगा, किन्तु मेरे तो संसार के सब जीव बेटे हैं। अपने मुँह के विष से जो मेरे बेटों को दुःख देती है, उससे त्राहि-त्राहि कहलवाती है. उस पापिनी के घर में मैं नहीं रह सकता। इस प्रकार ठाकुरजी अब तुम्हारे घर नहीं रहेंगे। वह सारे संसार के पिता हैं और तुम सब से वैर रखती हो। ठाकुरजी बेचारे रहें भी तो कैसे ? ___ फूलों का चेहरा उतर गया। वह कहने लगी-मेरी तकदीर खोटी है जो ठाकुरजी जाते हैं। अब मैं किसके सहारे रहूँगी? मेरी नाव डूबती है, आप किसी तरह इसे किनारे लगाए ।
मापकी बड़ी कृपा होगी। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com