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[जवाहर-किरणावली
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किसी को खण्ड-खण्ड करके मारा ! यह अंधाधुन्धी धर्म के नाम पर ही की गई थी। इस प्रकार धर्म के नाम पर हजारों नहीं लाखों मनुष्यों की हत्या की गई है। लेकिन जैनधर्म के किसी अनुयायी ने धर्म के नाम पर आज तक किसी को नहीं सताया, किसी की हत्या नहीं की। जैनधर्म के अनुयायियों ने धर्म का प्रचार करने में अनेक बाधाएँ सहन की हैं, कष्ट सहन किये हैं, मार खाई है, यहाँ तक कि बहुतों ने प्राण भी दिये हैं, मगर कभी किसी के प्राण लिए हों, ऐसा नहीं सुना गया। यह सब भगवान महावीर के तपोबल का प्रभाव है। उनका ऐसा प्रभाव था और वह इतना उत्कृष्ट और निर्मल था कि उनके धर्म के अनुयायियों ने अपना धर्म फैलाने के लिए कभी किसी को नहीं सताया। श्राज जैनधर्म के अनुयायी राजा नहीं हैं तो क्या हुआ। किसी समय सोलहसोलह देशां पर शासन करने वाले राजा इसके अनुयायी थे। वे प्रचंड शक्तिशाली और प्रतापी योद्धा थे। किन्तु धर्म का नाम लेकर उन्होंने किसी को नहीं सताया। किसी को लेश मात्र मी भय नहीं दिखलाया। __ अन्य धर्मों के इतिहास को देखने से ज्ञात होगा कि उस धर्म को फैलाने के लिए अनेक प्रकार के अत्याचार किये गये हैं। जैनधर्म का इतिहास जैनों ने भी लिखा है और दूसरों ने भी लिखा है। मगर उसमें किसी ने यह बात नहीं लिली कि कभी किसी मेन रोना ने अपने धर्म का प्रसार करने के
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