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[ जवाहर-किरणावली
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की ? हम उस समय नहीं थे जब यह घटना घटी। हम आज हैं और आज हमारे सामने यह कथा है। अगर हमने इस कथा को अपनी ही कथा समझ ली तव तो इसे सुनकर हम अपना कल्याण कर सकते हैं; अन्यथा कथा सुनना और न सुनना बराबर है । मैं इस कथा को आध्यात्मिक रूप में घटा कर आपको बताना चाहता हूँ कि राजगृही नगरी क्या है. छैल, अर्जुन माली, उसकी स्त्री बन्धुमती, यक्ष, सुदर्शन सेठ और भगवान महावीर कौन हैं ? और यह कथा कैसे बनी ?
मित्रो ! जहाँ जन्म हुआ है वही राजगृही है । किसी पूर्वोपार्जित पुण्य के उदय से यह शरीर-क्षेत्र मिला है। मन बहुत समय से अर्जुन माली है । मन रूपी अर्जुन की माया रूपी भार्या है। यह भार्या अर्जुन की तो बन कर रही मगर निष्टा अर्जुन पर नहीं रही । जहाँ स्वार्थ का लालच देकर किसी ने दबाया, उसी ओर यह जाने लगी। इस माया रूपी स्त्री ने अपने नखरे दिखा-दिखाकर आत्मा को फँसा रक्खा है । आत्मा ने मिथ्या देव रूपी यक्ष का इष्ट पकड़ा था, जिससे वह समय पर मेरी सहायता करे । इस शरीर में काम, क्रोध, मद, मन्सर आदि छह शत्रु हैं । इन बैलों को बल-वीर्य रूपी अधिकार मिला । यह स्वच्छन्द क्रीड़ा करने लगे और जो-जो अनर्थ किये उनका वर्णन नहीं हो सकता । इन छह शत्रुओं की वंदौलत आत्मा को कष्ट पाते-पाते अनन्त काल हो गया
है। यह छह शत्रु जब-जब मस्ती पर आये तब-तब माया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com