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बीकानेर के व्याख्यान 1
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एक होने का लक्षण है । जिन्हें आत्मा अब तक तुच्छ समझता था उन्हीं से प्रेम करने लगे तो समझ लेना चाहिए कि आत्मा और परमात्मा एक हो गया ।
भगवान् महावीर में मिलकर अर्जुन माली ने अपना सारा हिसाब चुकता कर दिया। वह अपने ऊपर चढ़े हुए भारी ऋण से मुक्त हो गया । यह कथा सुनकर आप अपना खाता बराबर करेंगे या नहीं ? जीभ से हाँ कह देना तो सभ्यता मात्र है. अन्तःकरण क्या कहता है, यह देखना चाहिए।
संवत्सरी के दिन वर्ष भर के पाप की आलोचना की जाती है । अन्तःकरण में जमा हुई गंदगी को हटा देने का यह पर्व है । संवत्सरी के पश्चात् हृदय निर्मल करके जीवन का नया पथ निर्मित्त होना चाहिए, जिस पर चल कर आत्मा अपने अक्षय कल्याण के परम लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सके। भावना में पावनता लाने और हृदय को स्वच्छ बनाने के लिए क्षमायाचना की जाती है । यह एक परम पवित्र प्रणाली है । केवल ऊपरी रूप से इसका अनुसरण मत करो वरन् उसकी चेतना को जागृत रक्खो। उसे सजीव रूप में पालन करो । ऐसा करने से आपका जीवन ऊँची कक्षा में पहुँचेगा और धर्म की भी प्रभावना होगी । क्षमायाचना के लिए महाराज उदायी का दृष्टान्त सामने रक्खो । महाराज
* विस्तृत कथा जानने के लिए देखिए - जवाहर किरणावली, किरण है, बोल १७ ।
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