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॥ श्रीः॥ अथ चरकसंहिताविषयानुक्रमणिका ।
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विषय.
. सूत्रस्थान १. । १, दीर्घजीवित अध्याय । मंगलाचरण मआयुर्वेदावतरणक्रम आयुर्वेदका प्रयोजन षियोंका एकत्रित हो विचार करना " पायका निश्चय भरद्वानका इन्द्रभवन में जाना आयुर्वेदका स्वरूप और भरद्वाजका इन्द्रसे
प्राप्त करना (माद्वानसे ऋषियोंका आयुर्वेदग्रहणकरना"
युनर्वसुका छः शिष्योंको आयुर्वेदका । उपदेश । ; आप्रवेशादि छः संहिताओंमें ऋषि. __ योकी अनुमति आयुर्वेदका लक्षण आयुके नाम
आयुर्वेदका महत्त्व } वृद्धिहासके कारण व सामान्य और
श्लोक. व्याधियों के हेतु और आश्रय आत्माका लक्षण रोगोंके कारण दोषोंका प्रशमन : वायुके गुण और अमनोपाय पित्तके गुण और शमनोपाय कफके गुण और शमनकाउपाय चिकित्साका साधारण निर्देश रसस्वरूप निदर्शन रॉकी संख्या और नाम रसोंका कार्य द्रव्यके तीन प्रकार जंगम आदिभेदसे फिर तीन प्रकार जङ्गम वर्णन पार्थिवद्रव्य वर्णन औद्भिज्य द्रव्य वर्णन लेहादि द्रव्य वर्णन मूलप्रधान द्रव्य फलप्रथा- द्रव्य ल५ .
np . प .-: ....के गुण स्नानके महाफल स्वच्छवस्त्र परिषानके, भषादि मूत्रके गुण : भेड, गकरी,गौ मादिः दूर्गावर बहेड' र थोर शो गुण अधिने गुण . त्वचापमान वृक्ष गडनिय मादियोट गोषत्र ज्ञान
विशेषके लक्षण ₹
५० आयुर्वेदका अधिकारधतीय अध्याय ।
द्विविष द्रव्य
गुणकर्म
समवाय समघायिकारण कर्मलक्षण .
का प्रयोजन
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